मूल नक्षत्र का सीधा प्रभाव इसके संरेखण के तहत पैदा हुए व्यक्तियों पर पड़ता है, जो बृहस्पति और केतु ग्रहों से प्रभावित होते हैं.

Jul 13, 2023

मान्यताओं के अनुसार मूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले बच्चों का स्वास्थ्य थोड़ा कमजोर हो सकता है.

परंपरागत रूप से यह माना जाता है कि इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले बच्चों का एक निश्चित समय तक पिता को चेहरा नहीं देखना चाहिए.

हालांकि ,इन ग्रह-नक्षत्रों के प्रभाव को कम करने के लिए कुआं पूजन का विधान है.

कुआं पूजन की परंपरा भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से जुड़ी है.

कृष्ण के जन्म के बाद ग्यारहवें दिन माता यशोदा ने ये पूजन किया था.

बता दें कि मूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले बच्चों के लिए यह पूजा विशेष महत्व रखती है.

पूजा के दौरान बच्चे और मां को गुनगुने पानी से नहलाया जाता है, उसके बाद वो दोनों नए कपड़े पहनते हैं.

मां या घर की कोई बड़ी महिला माथे पर खाली कलश और चाकू रखती है.

जिसके बाद कुएं के पास आटे और कुमकुम से स्वास्तिक बनाकर ये पूजा की जाती है.

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