कर्ण महादानी

कर्ण एक महान योद्धा था, वह और अपनी दान व उदारता के लिए जाना जाता था.

कुंती ने कर्ण का जन्म दिया था

कुंती ने कर्ण का जन्म पांडु से विवाह से पहले दिया था, उन्हें कुंती ने त्याग दिया था और अधिरथ नामक सारथी और उनकी पत्नी राधा ने उन्हें गोद ले लिया था.

सूर्य पुत्र कर्ण

सूर्य और राजकुमारी कुंती का कर्ण पुत्र था, उनका जन्म प्राकृतिक कवच और बालियों के साथ हुआ था.

ब्राह्मण का कर्ण को श्राप

कर्ण को एक ब्राह्मण ने श्राप दिया था कि जब वह अपने जीवन की एक महत्वपूर्ण युद्ध में होगा तो उसके रथ का पहिया धरती में धंस जाएगा.

परशुराम श्राप

कर्ण को भगवान परशुराम ( उनके गुरु ) ने श्राप दिया था कि वहउनके द्वारा दी गई विद्या का ज्ञान आवश्यकता पड़ने पड़ भूल जाएगा.

कवच और कुंडल दान

कुरुक्षेत्र के युद्ध से पहले इंद्र ने कर्ण से दान में उसके कवच और कुंडल मांगे थे.

नागास्त्रम का प्रयोग एक अर्जुन के लिए

कुंती ने कर्ण से अर्जुन को छोड़कर किसी भी पांडव को न मारने साथ ही अर्जुन पर नागास्त्रम का प्रयोग एक से अधिक बार नहीं का वादा करने के लिए

कर्ण के सारथी ने साथ छोड़ा

कर्ण के सारथी शल्य ने युद्ध के सबसे महत्वपूर्ण समय में उसका साथ छोड़ दिया था.

कृष्ण

कृष्ण एक ब्राह्मण का रूप धारण करके कर्ण के पास उस समय गये, जब वह अपनी मृत्यु की प्रतीक्षा कर रहा था,और उससे अपने जन्म से लेकर अब तक किए गए सभी दान और पुण्य दान करने के लिए कहा,जिसमें मृत्यु के समय इन्हें दान करके प्राप्त किया गया सम्मान भी शामिल है.

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