कोई भी मंदिर 24 घंटे खुला नहीं रहता है
अब आप सोच सकते हैं कि भगवान के द्वार पर समय की पाबंदी क्यों हैं
लेकिन इसके पीछे हमारे शास्त्रों में बनाये गये नियम हैं.
जैसे स्नान करके ही मंदिर में प्रवेश किया जाए
मंदिर में एंट्री लेते वक्त सीढ़ियों को स्पर्श कर सिर पर लगाएं
श्याम की आरती के बाद मंदिर के कपाट को बंद कर दें.
रात में मंदिर के कपाट बंद करने के कारण अलग अलग है
मंदिर में स्थापित मूर्तियां मूल्यवान होती हैं, जिनकी सुरक्षा जरूरी है.
ये देवताओं के सम्मान का तरीका है, इस समय देवता विश्राम करते हैं.
धार्मिक अनुष्ठान से पहले भी बंद होते है कपाट, ताकि साफ सफाई की जा सके.
पूजा पाठ की सकारात्मक ऊर्जा को मंदिर परिसर तक सीमित रखा जाता है
रात के समय मंदिर की आध्यात्मिक ऊर्जा ज्यादा होती जिसे सुबह तक रोका जाता है
फिर सुबह जब भक्त दर्शन को आते हैं तो उन्हे इस ऊर्जा का लाभ ज्यादा मिलता है.