इन वजहों से नहीं पीना चाहिए 'प्लास्टिक बोतल का पानी'

Sandhya Yadav
Aug 21, 2023

बिना पानी जिंदगी नहीं

पानी एक ऐसी चीज है, जिसके बिना इंसान की जिंदगी सोची भी नहीं जा सकती है.

पानी बेहद जरूरी

सांस लेने के अलावा अगर इंसान के लिए सबसे कुछ ज्यादा जरूरी है तो वह पानी कहा जाता है.

पानी कई जगहों से मिलता

पानी कई तरीकों से मिलता है. नदी, तालाबों, झरनों और बोरवेल से भी पानी मिलता है.

पानी में कई जीव मौजूद

आजकल तो नेचुरल मिनिरल वॉटर आने लगा है लेकिन क्या आप जानते हैं कि मिनरल वाटर में कई तरह के जीव मौजूद हो सकते हैं, जो कि कोलीफॉर्म के चलते होते हैं.

प्लास्टिक की बोतलों में लंबे समय तक रहते

यह जीव तब ज्यादा दिनों तक जीवित रहते हैं, जब पानी प्लास्टिक की बोतलों में होता है.

कई बीमारियां पनप रही

प्लास्टिक की बोतल में मिनरल वाटर पीने से आजकल लोगों में कई बीमारियां पनप रही हैं. पानी को कैंपिलो बैक्टर संक्रमण संभावित कारण के रूप में जाना जाता है. यह एक खाद्य जनित आम बीमारी होती है.

बैक्टीरिया का लेवल ज्यादा

हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि बोतल बंद पानी में बैक्टीरिया का लेवल नल के पानी की तुलना में ज्यादा होता है.

रसायनों का इस्तेमाल करके बनती प्लास्टिक बोतलें

पानी की बोतल के लिए इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक का निर्माण पेट्रोलियम उत्पादों समेत अन्य रसायनों का इस्तेमाल करके किया जाता है, जिसके चलते बोतल बंद पानी का प्लास्टिक कंटेनर समय के साथ खराब होने लगता है.

BPA हानिकारक

प्लास्टिक की बोतलों में जो BPA का इस्तेमाल किया जाता है, वह सेहत के लिए काफी हानिकारक होता है.

कार्सिनोजेनिक यौगिक बन सकता

प्लास्टिक की बोतल में गर्म पानी डालने पर इसमें कार्सिनोजेनिक योगिक बनने की संभावना ज्यादा होती है. अगर आप अपने साथ गर्म पानी रखना चाहते हैं तो उसे हमेशा प्लास्टिक के बजाय कांच की बोतलों का प्रयोग करें.

गर्भवती महिलाएं न पिएं

ज्यादातर घरों में पानी की बोतलों का ही इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में गर्भवती महिलाओं और उनके अजन्मे बच्चों के लिए बीपीए जटिलताएं पैदा कर सकता है. इससे बच्चे को जन्म देने के समय दोष हो सकते हैं.

जल्दी प्यूबर्टी आने का कारण

टाइप 7 की प्लास्टिक बोतलों में प्रयोग किए जाने वाला बीपीए जल्दी प्यूबर्टी आने का कारण हो सकता है.

प्रजनन क्षमता भी प्रभावित

अगर कम गुणवत्ता वाली प्लास्टिक बोतलों का पानी पिया जाता है तो इससे प्रजनन क्षमता भी प्रभावित होती है.

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