राजस्थान के इस मंदिर में कपड़े का घोड़ा चढ़ाना है जरूरी
Aman Singh
Sep 13, 2024
राजस्थान में एक ऐसा मंदिर भी है जहां मन्नत पूरी होने पर घोड़े चढ़ाए जाते हैं.
इन घोड़ों की देखभाल के लिए मंदिर ट्रस्ट की ओर से अस्तबल भी बनाया गया है.
श्रद्धालुओं द्वारा घोड़े चढ़ाए जाने के बाद यहां उन्हें रखा जाता है, हालांकि घोड़े चढ़ाने की परंपरा अभी हाल में शुरू हुई है.
वैसे सदियों से यहां प्रतीक के रूप में कपड़े के घोड़े चढ़ाए जाते हैं, यह परंपरा अभी भी कायम है.
पिछले दो साल में राजस्थान, गुजरात और पंजाब से यहां दर्शन करने आए कुछ श्रद्धालुओं ने घोड़े चढ़ाए.
बाबा रामदेव की सवारी के रूप में कपड़े का घोड़ा तो श्रद्धालु सदियों से चढ़ाते आ रहे हैं। मगर वर्तमान में श्रद्धालुओं में जीवित घोड़ा चढ़ाने की मान्यता बलवती हो रही है.
बाबा रामदेव सवारी के रूप में घोड़े का उपयोग करते थे। उनके घोड़े का नाम लीला घोड़ा था.
बाबा रामदेवजी द्वारा समाधि लेने के बाद उनके साथ घोड़ा भी लोकप्रिय हो गया.
बाबा रामदेव ने बाल्यकाल में अपनी माता मेणादे से घोड़े की सवारी की मांग की. तब माता ने बालक रामदेव को दर्जी से कपड़े का घोड़ा बनाकर मंगवाया.
लोगों की ऐसी मान्यता है कि उसी घोड़े की सवारी करके उसे आकाश तक उड़ा कर सभी को अचंभित करते हुए अपने अवतारी पुरुष होने का संकेत दिया था.
बाबा रामदेव की समाधि पर इन दिनों कपड़े के विशाल घोड़ों के साथ साथ श्रद्धालुओं द्वारा जीवित घोड़ें भी चढाएं जा रहे हैं.