लंकापति रावण की अधूरी तमन्नाएं, जो मृत्यु के साथ ही हो गई थी खत्म
Ansh Raj
Oct 11, 2024
रावण, महादेव शिव का सबसे बड़ा भक्त और महाज्ञानी था, जिसकी बुद्धिमत्ता, योग्यता और भक्ति पुराणों में वर्णित है, एक सच्चा शिव भक्त और महाविद्वान.
रावण की महादेव शिव की आराधना और स्तुति से हिमालय भी कंपित होता था, उसकी भक्ति की शक्ति और महिमा का प्रमाण पुराणों में वर्णित है.
रावण की सबसे बड़ी कमजोरी थी उसका अहंकार और आत्ममोह, जिसने उसे स्वयं को भगवान मानने की भूल कराई, और उसके पतन का कारण बना.
रावण के जीवन में 7 अधूरी इच्छाएं थीं, जिन्हें पूरा करने से उसका भाग्य बदल सकता था, लेकिन मृत्यु ने उसके इरादों को अधूरा छोड़ दिया.
क्या आप जानते है कि आखिर रावण वो कौनसी अधूरी इच्छाएं हैं, जो पूरी किये बगैर ही रावण मर गया.
रावण का सबसे पहला सपना था कि वो सोने में सुगंध भरना चाहता था. रावण सोने का इतना बड़ा शौक़ीन था कि उसने अपनी पूरी लंका सोने की बनवाई थी.
रावण यह चाहता था कि उसकी सोने की लंका में सुगंध आ जाए, ताकि उसकी लंका और उसे कोई भी दूर से ही पहचान ले.
रावण की दूसरी इच्छा थी कि किसी भी पिता की आँखों के सामने उसके पुत्र की मृत्यु न हो. क्योंकि किसी भी पिता के कंधे पर उसके बेटे की अर्थी उठाने का दम नहीं होता है.
रावण की तीसरी इच्छा में एक यह भी इच्छा शामिल थी कि वो धरती से स्वर्ग तक सीढ़ी बनाए. क्योंकि रावण यह चाहता था कि स्वर्ग में जाने के लिए किसी को भी मरना न पड़े और वो जीते जी स्वर्ग के दर्शन कर आए.
रावण की चौथी इच्छा थी कि उसकी लंका के चारों ओर समुद्र का पानी मीठा हो जाए.
ऐसा भी कहा जाता है कि अगर रावण कुछ दिन और जीवित रहता, तो मदिरा यानी कि शराब को गंधहीन बना देता.
वहीं रावण यह भी चाहता था कि दुनिया में रंगभेद न हो. रावण यह चाहता था कि हर कोई गोरा दिखे, जिससे की कोई भी रंग को लेकर किसी का मजाक न उडाए.
रावण खून का रंग भी बदलना चाहता था. ऐसा कहा जाता है कि रावण खून का रंग लाल से सफेद करना चाहता था, ताकि वो जिसका भी वध करे उसके बारे में किसी को पता न चले.