पितृ पक्ष में पूर्वजों की तृप्ति कैसे

पितृ पक्ष में पूर्वजों की तृप्ति के लिए तर्पण सही विधि से करना आवश्यक है.

क्यों दिया जाता अंगूठे से जल

पितृपक्ष चल रहा है इसमें कई लोग श्राद्ध करते हैं लेकिन क्यों दिया जाता अंगूठे से जल आखिर क्या है मान्यता, जानें.

पितरों का करें ध्यान

हाथों में जल, कुशा, अक्षत, पुष्प और काले तिल लेकर दोनों हाथ जोड़कर पितरों का ध्यान करते हुए उन्हें आमंत्रित करें.

पूर्वज आसानी से ग्रहण करते

कुशा लेकर जल अर्पित करने से पूर्वज उसे आसानी से ग्रहण कर पाते हैं, क्योंकि वो पवित्र और स्वच्छ हो जाता है.

भगवान शंकर का निवास

कुशा के अग्रभाग में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और मूल भाग में भगवान शंकर निवास करते हैं.

अंगूठे का हिस्सा पितृ तीर्थ

हिंदू धर्म में बताई गई पूजा पद्धति के अनुसार हथेली के जिस हिस्से पर अंगूठा होता है, वह हिस्सा पितृ तीर्थ कहलाता है.

अंगूठे के माध्यम से जलांजलि

श्राद्ध कर्म करते समय पितरों का तर्पण भी किया जाता है यानी पिंडों पर अंगूठे के माध्यम से जलांजलि दी जाती है.

पितृ पक्ष के दौरान गंगा स्नान

पितृ पक्ष के दौरान गंगा में स्नान कर उन्हें जल तर्पण कर अपने पूर्वजों की आत्मा को शांत कर सकते हैं और कई तरह के दोषों से मुक्ति पा सकते हैं.

गंगा में आस्था की डुबकी

श्रद्धालु गंगा घाटों पर आकर गंगा में आस्था की डुबकी लगाते हुए पूजा अर्चना कर अपने पितरों की शांति के लिए दान पुण्य भी करते हैं.

पितरों को मिलती है संतुष्टी

पिंडदान और तर्पण में पितरों को संतुष्ट करने के लिए जो जल और दूध दिया जाता है उसे हथेली में रखकर अंगूठे के द्वारा दिया जाता है.

अंगूठे से पितरों को जल देने की परंपरा

महाभारत और अग्निपुराण के अनुसार अंगूठे से पितरों को जल देने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है.

पितृ पक्ष अमावस्या पर श्राद्ध

जिन लोगों को अपने पित्रों की मृत्यु तिथि का पता नहीं होता है वह भी पितृ पक्ष अमावस्या पर उनका श्राद्ध करते हैं.

आत्माओं को पूर्ण शांति

इस दिन गंगा स्नान कर श्रद्धालु अपने पितरों की शांति के लिए पिंड दान, तर्पण कर आत्माओं की पूर्ण शांति के लिए के लिए पूजा पाठ करते हैं.

पिंडदान और तर्पण से पितर प्रसन्न

पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध में पिंडदान और तर्पण के साथ ब्राह्मण भोजन भी कराने से पितर पसन्न होते है.

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