कहीं अकेले में मिल कर झिंझोड़ दूंगा उसे... पढ़ें रहत इंदोरी के वो शेर, जिसे सुन तालियों से गूंजने लगता था हॉल
Ansh Raj
Sep 19, 2024
कहीं अकेले में मिल कर झिंझोड़ दूंगा उसे.
जहां-जहां से वो टूटा है जोड़ दूंगा उसे.
ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था. मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था.
मेरा नसीब, मेरे हाथ कट गए वरना. मैं तेरी मांग में सिंदूर भरने वाला था
हमारे मुंह से जो निकले वही सदाक़त है. हमारे मुंह में तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है.
सभी का ख़ून है शामिल यहां की मिट्टी में. किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है.
मैंने अपनी खुश्क आंखों से लहू छलका दिया. इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए.
मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता. यहां हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी.
किसने दस्तक दी, दिल पे, ये कौन है. आप तो अन्दर हैं, बाहर कौन है?
तूफ़ानों से आंख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो. मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो
अंधेरें चारों तरफ़ साये-साये करने लगे, चारा हाथ उठाकर दुआएं करने लगे.
सलीका जिनको सिखाया था हमने चलने का, वो लोग आज हमें दाये-बाये करने लगे