ये है राजस्थान के 8 रहस्यमयी मंदिरों की लिस्ट

Pragati Awasthi
Jul 11, 2024

मेंहदीपुर बालाजी

दौसा में दो पड़ाहियों के बीच बसा ये मंदिर हनुमानजी के बालरूप मूर्ति के लिए जाना जाता है. मान्यता है कि यहां पर प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है.

छेद से निकलता पसीना

मूर्ति की बायीं ओर एक छेद है,जिससे लगातार जल बहता है, इसे हनुमान जी का पसीना कहा जाता है. इसके छीटें भक्त खुद पर मारते हैं.

प्रेतराज सरकार

मेंहदीपुर बालाजी में ही प्रेतराज सरकार और भैरवबाबा की मूर्ति है, यहां हर दिन 2 बजे दरबार में पेशी यानि की कीर्तन होता है.

प्रसाद फेंक दिया जाता है

यहां प्रसाद की दो दर्खास्त और अर्जी दो तरह का है, दर्खास्त का चढ़ाने बाद मंदिर में रुकते नहीं है और अर्जी का प्रसाद अपने पीछे फेंक देते हैं.

देवी सावित्री मंदिर

पुष्कर में देवी सावित्री का मंदिर है. मान्यता है कि ब्रह्मा जी को श्राप देने के बाद देवी सावित्री यहीं बस गई. मंदिर में पुरुषों का प्रवेश वर्जित है.

पुरुष प्रवेश वर्जित

मान्यता है कि देवी पुरुषों से रुष्ठ है, अगर कोई पुरुष मंदिर के अंदर प्रवेश करता है, तो बुरे परिणाम भुगतता है.

किराडू मंदिर

बाड़मेर का किराडू मंदिर , 5 मंदिरों से मिलकर बना है, जिसमें एक भगवान विष्णु और बाकी भगवान शिव के हैं. इसे राजस्थान का खुजराहो भी कहते हैं.

साधू का श्राप

मान्यता है कि यहां शाम के बाद कोई रुका तो लौटकर कभी वापस नहीं आता है. किराडू पर एक साधु का श्राप है

पुष्कर मंदिर

पूरे भारत में सिर्फ पुष्कर में ही भगवान ब्रह्मा का मंदिर है, मंदिर का निर्माण किसने कराया ये ज्ञात नहीं है.

सपने में दिखा मंदिर

माना जाता है कि करीब 1 या दो हजार सौ साल पहले किसी राजा को सपने में मंदिर के रखरखाव को लेकर सपना आया था.

तनोट माता मंदिर

जैसलमेर के पास इंडिया पाक बॉर्डर पर तनोट माता मंदिर है. 1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान मंदिर परिसर में 450 बम गिरे.

तनोट माता का चमत्कार

लेकिन एक भी बम नहीं फटा, यहां के लोग इस युद्ध में जीत को तनोट माता की कृपा ही मानते हैं.

करणी माता मंदिर

बीकानेर में चूहों वाले मंदिर के नाम से प्रसिद्धि करणी माता मंदिर में भक्त चूहों का जूठा प्रसाद ही खाते हैं.

सफेद चूहा शुभ

मान्यता है कि मंदिर में करीब 20 हजार से ज्यादा चूहे हैं, जो करणी माता की संतान माने जाते हैं. मंदिर अगर सफेद चूहा दिख जाये तो मन्नत पूरी होती है.

भुवाल माता मंदिर

नागौर की भुवाल काली माता के चरणों में ढाई प्याला शराब अर्पित की जाती है और बाकी बची शराब को भैरव जी को चढ़ा दिया जाता है.

अजीब मान्यता

माना जाता है कि चांदी के कटोरे में शराब भरकर पुजारी माता को चढ़ाई जाती है, और प्याला खाली हो जाता है

डिस्क्लेमर- ये लेख सामान्य जानकारी है, जिसकी ज़ी मीडिया पुष्टि नहीं करता है

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