साल 1899 में देश में अकाल पड़ा था. इस दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य था राजस्थान.
इम्पीरियल गेजटियर के ऑर्टिकल के मुताबिक इस अकाल में 10 लाख लोगों की भुखमरी से मौत हुई थी.
हालांकि कुछ इतिहासकार इस आंकड़ें को 40 से 45 लाख तक बताते हैं. ये समय ब्रिटिश शासनकाल का था.
50 डिग्री से ज्यादा के तापमान में बिना पानी के कई लोग डिडाइड्रेशन से मारे गये तो कुछ बीमारियों का शिकार हो गए.
खाने की कमी के चलते कुछ लोग खेजड़ी की छाल को, पत्तियां खाकर जिंदा रहें तो कुछ नरभक्षी हो चुके थे.
छप्पनिया अकाल की भयावह तस्वीरें उस समय की स्थिति को बयां करने के लिए काफी है.
हालांकि मेवाड़ के राजाओं ने अकाल के दौरान कई शिविर किये और अपने खजाने खोल दिये लेकिन यातायात के सीमित संसाधन लोगों की जान नहीं बचा पाए.
ब्रिटिश सरकार ने भी सहायता कैंप खोले लेकिन इसका फायदा भी 25 फीसदी लोगों को ही मिल पाया जो नाकाफी था.
ये वो समय था जब अनाज सबसे कीमती हो चुका था और उसकी चोरी शुरू हो चुकी थी.
पानी की एक बूंद जमीन पर नहीं गिरी थी और खेती बाड़ी तक जिंदगी बिता रहे किसान और पशुओं की लाखों की तादात में मौत हो गयी.