लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में, पढ़ें बशीर बद्र के शेर

Ansh Raj
Dec 15, 2024

लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में तुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में

और जाम टूटेंगे इस शराब-ख़ाने में मौसमों के आने में मौसमों के जाने में

हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में

फ़ाख़्ता की मजबूरी ये भी कह नहीं सकती कौन साँप रखता है उस के आशियाने में

दूसरी कोई लड़की ज़िंदगी में आएगी कितनी देर लगती है उस को भूल जाने में

कोई काँटा चुभा नहीं होता दिल अगर फूल सा नहीं होता

मैं भी शायद बुरा नहीं होता वो अगर बेवफ़ा नहीं होता

बेवफ़ा बेवफ़ा नहीं होता ख़त्म ये फ़ासला नहीं होता

कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता

जी बहुत चाहता है सच बोलें क्या करें हौसला नहीं होता

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