क्या बेटियों को श्राद्ध करने का अधिकार है?

Sandeep Bhardwaj
Apr 28, 2024

Pitru Shradh

हिन्दू धर्म के मरणोपरांत संस्कारों को पूरा करने के लिए पुत्र का प्रमुख स्थान माना गया है.

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शास्त्रों में पुत्र को ही श्राद्ध, पिंडदान का अधिकारी माना गया है.

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यहां जानते हैं कि शास्त्रों के अनुसार पुत्र न होने पर कौन-कौन श्राद्ध का अधिकारी हो सकता है.

पुत्र

पिता का श्राद्ध पुत्र को ही करना चाहिए.

बड़ा पुत्र

एक से अधिक पुत्र होने पर सबसे बड़ा पुत्र श्राद्ध करता है.

पत्नी

पुत्र के न होने पर पत्नी श्राद्ध कर सकती है.

संपिंडों

पत्नी न होने पर सगा भाई और उसके भी अभाव में संपिंडों को श्राद्ध करना चाहिए.

पुत्र

बेटी का पति एवं बेटी का पुत्र भी श्राद्ध के अधिकारी हैं.

प्रपौत्र

बेटे के न होने पर पौत्र या प्रपौत्र भी श्राद्ध कर सकते हैं.

पत्नी

पति अपनी पत्नी का श्राद्ध तभी कर सकता है, जब कोई पुत्र न हो.

पौत्र या पुत्री

पुत्र, पौत्र या पुत्री का पुत्र न होने पर भतीजा भी श्राद्ध कर सकता है.

गोद लिया पुत्र

गोद लिया पुत्र भी श्राद्ध का अधिकारी है.

श्राद्ध

कोई न होने पर मरने वाले व्यक्ति के धन से ही उसके किसी भी जानकार द्वारा श्राद्ध करने का विधान है.

Disclaimer

यहां दी गई जानकारियां सामान्य मान्यताओं पर आधारित है. ZEE News इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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