आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के निर्माण से आगरा और लखनऊ यानी नवाबों की नगरी के बीच दूरी कम हो गई है. जिस दूरी को तय करने में छह घंटे लगते थे,अब एवरेज स्पीड से साढ़े तीन घंटे में ये दूरी कवर हो जाती है.
यूपी के सबसे लंबा एक्सप्रेसवे 236 गांव यानी फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरैया, कन्नौज, कानपुर नगर, हरदोई और उन्नाव जिले से होते हुए लखनऊ में एनएच-40 पर समाप्त होता है.
इस एक्सप्रेस से आसपास रियल स्टेट को भी बढ़ावा मिल रहा है. एक्सप्रेसवे के किनारे बसे गांवों और कस्बों के लोगों के लिए आसान रास्ते के साथ रोजगार के मौके भी खुले हैं.
सरकार, यूपी के दूसरे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के किनारे मंडियों को बसाने का प्लान है. जिससे किसानों को अपनी उपज, अनाज,साक-सब्जी और दुग्ध समेत अन्य फसलों की ब्रिक्री के लिए कहीं और नहीं जाना होगा.
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के किनारे कृषि, बाजार, शैक्षणिक संस्थान, औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, विश्राम केंद्र, आधुनिक पेट्रोल पंप, सर्विस स्टेशन समेत कई फैसिलिटी होंगी.
प्रदेश सरकार एक्सप्रेसवे के रास्ते 9 जिलों में औद्योगिक कॉरिडोर स्थापित करने के लिए जमीन चिन्हित की गई है. इन नौ जिलों को काफी फायदा होगा.
भविष्य में आपात या युद्ध जैसी स्थिति से निपटने के लिए 3 किलोमीटर का रनवे भी बना है.
इस हाई स्पीड कॉरिडोर में 9 फ्लाईओवर, 74 अंडर पास, 148 पैदल यात्री अंडरपास, 4 रेल ओवर ब्रिज, 13 प्रमुख और 57 छोटे पुल बने हुए हैं.
पूरे एक्सप्रेसवे के किनारे सर्विस रोड हैं. जिनके किनारे कन्नौज और मैनपुरी में मंडी स्थापित की गई हैं. 1100 से अधिक कोल्ड स्टोरेज हैं.
एक्सप्रेसवे के किनारे अत्याधुनिक कृषि मंडी बन रही है. मंडी में वातानुकूलित मीटिंग हाल के साथ किसानों के ठहरने के लिए गेस्ट हाउस का निर्माण होगा.
किसानों की उपज की बिक्री के लिए अलग से चबूतरे और दुकानें बनाई जाएंगी. मंडी के निर्माण से ताजा चीजें आगरा से लखनऊ दिल्ली समेत अन्य जगह आसानी से पहुंच सकेंगी.
स्पष्ट कर दें कि यहां पर कुछ फोटो AI द्वारा निर्मित महज काल्पनिक फोटो हैं, जिनको बॉट ने कमांड के आधार पर तैयार किया है.