यूपी का वो पांडवकालीन मंदिर, जहां आज भी अश्वत्थामा करने आते हैं शिवलिंग की पूजा!

Pooja Singh
Jun 26, 2024

असोथर कस्बा

फतेहपुर के सदर तहसील में असोथर कस्बा है. ये कस्बा जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर यमुना नदी के किनारे दक्षिणी सीमा पर है.

प्राचीन मंदिर

असोथर कस्बे को 11वीं शताब्दी के मध्य राजा भगवंत राय खींची ने बसाया था. यहां एक प्राचीन मंदिर है, जिसे मोटे महादेवन मंदिर कहा जाता है.

लोगों की मान्यता

मोटे महादेवन मंदिर की मान्यता है कि यहां अश्वत्थामा पूजा करते हैं. सुबह जब भी भक्त मंदिर पहुंचते हैं तो शिवलिंग की पूजा हो चुकी होती है.

शिवलिंग की पूजा

भक्तों को शिवलिंग पर पूजा के फूल और जल चढ़ा हुआ मिलता है. मंदिर का ये रहस्य अब तक बरकरार है और कई कहानियां प्रचलित हैं.

ब्रह्मास्त्र के लिए तपस्या

महाभारत काल में ब्रम्हास्त्र पाने के लिए गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने यहीं पर तपस्या की थी. तभी से इस बस्ती का नाम असुफल हो गया.

अश्वत्थामा हैं अमर

ये बस्ती कालान्तर में असोथर के नाम से प्रचलित हुई. मान्यता है कि अश्वत्थामा अमर हैं और आज भी अपनी तपोस्थली पर सफेद घोड़े पर सवार होकर आते हैं.

पांडव भी ठहरे

मान्यता तो ये भी है कि महाभारत काल में पांडव भी अज्ञातवास के दौरान यहां आकर रुके थे. बकौल बुजुर्ग मोटे महादेवन मंदिर के पास एक तालाब था.

पांडवकालीन मंदिर

मुख्य पर्यटक स्थलों के रूप में विख्यात पांडवकालीन प्राचीन मंदिर बाबा अश्वत्थामा धाम, सिद्ध पीठ मोटे महादेवन मंदिर असोथर के दक्षिण में स्थित है.

अदभुत शिवलिंग

आदिकाल से मंदिर में अदभुत शिवलिंग असोथर में है. मान्यता है की ये शिवलिंग ईशान कोण की ओर झुका है और काशी विश्वनाथ की तरफ भी इसका रुख है.

भक्तों की मुरादें

शिव मंदिर के महत्व को सुनने के बाद जयपुर के राजा ने मंदिर का निर्माण करवाया था. यहां सच्चे मन से जो भी मन्नत मानता है उसकी मुराद पूरी होती है.

झाड़ियों में शिवलिंग

मान्यता है कि गांव के चरवाहे तालाब किनारे मवेशी चरा रहे थे. इस दौरान झाड़ियों में शिवलिंग देखकर लोगों को इसकी जानकारी दी.

शिवलिंग निकालने में असफल

ग्रामीणों ने शिवलिंग को खोदकर निकालने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली तो लोगों ने उसी जगह शिवलिंग की पूजा करनी शुरू कर दी.

राजा थे बीमार

कहते हैं एक बार राजा जयपुर बीमार हो गये थे. उस दौर में कई राज्यों के वैद्य राजा के इलाज के लिए गए थे. इन्हीं वैद्य में असोथर स्टेट के जोरावर महाराज भी थे.

सभी वैद्य असफल

जयपुर जाने से पहले वैद्य जोरावर महराज ने मोटे महादेवन मंदिर में पूजा अर्चना की. सभी वैद्य राजा जयपुर का इलाज कर रहे थे, लेकिन सफल नहीं हुए.

राजा का इलाज

सभी वैद्य के असफल होने पर जोरावर महाराज ने अपना इलाज शुरू किया तो जयपुर के राजा स्वस्थ हो गए. ये देख राजा के साथ लोगों को भी आश्चर्य हुआ.

मंदिर का महत्त्व

राजा ने इलाज के बारे में वैद्य जोरावर महाराज से जानकारी ली. इस पर उन्होंने मोटे महादेवन मंदिर का महत्त्व राजा के दरबार में बताया था.

मंदिर निर्माण के लिए धन

ये सुनकर राजा जयपुर ने वैद्य के साथ ऊंटों में धन भेजकर मंदिर का निर्माण करवाया था. मंदिर में जो भी सच्चे मन से मन्नत मांगता है उसकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

Disclaimer

यहां दी गई जानकारियां लोक कथाओं और मान्यताओं पर आधारित हैं. इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. Zeeupuk इसकी किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है.

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