पारण के लिए प्रातः काल उठे और स्नान आदि कर देवी का ध्यान लगाए. पारण करने के लिए सामने सात्विक भोजन रखें.
नौ दिन फलाहार पर रहने के बाद पारण के समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अपने फलाहार को भारी से हल्के की तरफ करें.
क्रम का पालन करने में सबसे पहले हमने साबूदाना का सेवन कर सकते हैं, रजगिरा, इसके बाद सिंघाड़ा, शकरकंद, आलू और कद्दू, लौकी आदि खा सकते हैं.
पारण में थोड़ा और बढ़ते हुए फलों का जूस ले और फिर नारियल पानी, नींबू जैसे तरल चीजों का सेवन कर सकते हैं. इसके बाद आखिर में साधारण भोजन का सेवन कर सकते हैं.
ध्यान रहे कि प्याज, लहसुन, तेज मसाला, मांस जैसी चीजे पारण के भोजन में न रखें. पालक, मैथी लौकी, केले और दूध भी पारण में न रखें.
जो भोग आप माता रानी और कन्याओं के लिए रखा गया उसी से पारण करना शुभ माना गया है. पारण करने के पहले आचमी कर लें. पत्ते पर तीन कोल रखकर ब्रह्मा, विष्णु व शिवजी को प्रणाम करके पारण शुरू करें.
पारण के समय भोजन भरपेट न करें. डर है कि अचानकर खूब सारा खाना खाने से पेट में दर्द न हो जाए. पाचन संबंधी दिक्कत भी हो सकती है.
पहले पानी पी लें फिर 30 मिनट बाद भोजन के लिए बैठें. पेट में ठंडक पहुंचे उसके बाद भोजन ग्रहण करें.
नींबू पानी, लस्सी, नारियल पानी जैसे जूस पीएं. फल खाकर भी पारण किया जा सकता है.
अंकुरित आहार पारण में रखें तो बहुत अच्छा होगा. मिक्स आटे की रोटी तैयार कर लें. सब्जियों में गिल्की, कहू, टमाटर, अरबी, दहीं जैसी चीजें रख सकते हैं जो पेट को पचाते हैं.