पुलिस महानिदेशक या DGP किसी भी राज्य या और केंद्र शासित प्रदेश पुलिस के सर्वोच्च अधिकारी होते हैं.
DGP की नियुक्ति कैबिनेट द्वारा की जाती है और यह तीन सितारा रैंक रखते है.
सूबे में कानून व्यवस्था बनाए रखने, अपराध रोकने और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए डीजीपी को ही जवाबदेह माना जाता है.
डीजीपी की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में निर्देश दिए थे. जो आज भी माने जाते हैं.
राज्य सरकारों को डीजीपी नियुक्त करने से पहले यूपीएससी से सलाह करना आवश्यक है. राज्य सरकार यूपीएससी को योग्य अधिकारियों के नाम भेजती है.
यूपीएससी वरिष्ठता, सेवा रिकॉर्ड और अनुभव के आधार पर डीजीपी पद के लिए तीन अधिकारियों का एक पैनल तैयार करता है. इनमें से ही डीजीपी चुने जाते हैं.
डीजीपी के लिए दो साल का न्यूनतम कार्यकाल होना अनिवार्य है.
केवल न्यूनतम 30 वर्ष की सेवा वाले और ADG अधिकारियों को ही DGP बनाया जाता है.
DGP को भत्ते के अलावा ₹225,000 का मासिक निश्चित वेतन मिलता है.