शराब का नाम सुनते ही, बहुत से लोगों के चेहरे पर खुशी साफ-तौर पर देखने को मिलती है.
आपने अक्सर लोगों को पुरानी या नई शराब पीते देखा होगा. इसके अलावा कई लोगों से इसके बारे में बात करते हुए भी सुना होगा.
आपने अक्सर दारू के ठेके पर लोगों को पुरानी शराब मांगते देखा होगा, ज्यादातर लोग पुरानी शराब के शौक़ीन और दीवाने होते हैं.
शराब जितनी पुरानी होती है उसका रंग और भी ज्यादा गहरा हो जाता है. पुरानी शराब के साथ उसके स्वाद में भी परिपक्वता होती है.
शराब को पुराना बनाने के लिए बाकायदा एक प्रक्रिया को अपनाया जाता है. जिसे एजिंग कहते हैं. पुरानी शराब की सबसे बड़ी खासियत होती है कि इसका नशा धीरे धीरे चढ़ता है.
पुरानी शराब का रंग नई शराब के मुकाबले ज्यादा गहरा होता है. रंग से ज्यादा पुरानी शराब का स्वाद ख़ास होता है. शराब जितनी पुरानी होती है उतनी ही जवान होती जाती है.
शराब जितनी पुरानी होती जाती है, उसकी कीमत उतनी ही ज्यादा बढ़ जाती है. अगर कोई स्कॉच 50 साल पुरानी है, तो वह 10 साल पुरानी स्कॉच से ज्यादा दाम पर मिलेगी.
ब्रांडी और व्हिस्की शराब के दो अलग-अलग प्रकार होते हैं. इन्हें एजिंग की खास जरूरत होती है जो कि कम से कम तीन साल होती है.
रम और टकीला में भी एजिंग की प्रक्रिया करने से वह बेहतर होती है. हालांकि इनमें जरूरी नहीं कि बहुत लंबी प्रक्रिया अपनाई जाए.