प्रयागराज के संगम तट पर एक प्राचीन मंदिर स्थित है. यहां हनुमान जी लेटी हुई मुद्रा में विराजमान हैं. लेटे हुए हनुमान जी को प्रयाग का कोतवाल कहते हैं.
श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में हनुमानगढ़ी मंदिर प्रसिद्ध है. यह मंदिर राजद्वार के सामने ऊंचे टीले पर बना है. मान्यता है कि हनुमान जी यहां हर वक्त मौजूद रहते हैं.
यह मंदिर चित्रकूट में पर्वतमाला के मध्य में है. यहां हनुमान जी की मूर्ति के सामने तालाब में झरने से पानी गिरता है. इस धारा का जल हनुमानजी को स्पर्श करता हुआ बहता है इसीलिए इसे हनुमान धारा कहते हैं.
इटावा के पिलुआ बजरंगबली मंदिर में हनुमान जी की दक्षिण मुखी लेटी हुई प्रतिमा है. इनका मुंह खुला हुआ है. कहा जाता है कि यह प्रतिमा भोग ग्रहण करती है और हर समय राम नाम का जाप करती है.
वाराणसी स्थित इस मंदिर के चारों ओर एक छोटा सा वन है. मान्यता है कि हनुमानजी की यह मूर्ति गोस्वामी तुलसीदासजी के तप एवं पुण्य से प्रकट हुई स्वयंभू मूर्ति है.
एटा के जलेसर में हनुमान जी का अनूठा मंदिर है, यहां स्थापित मूर्ति पर पसीना आता है. जिंदा इंसान की तरह नसें भी चमकती हैं.श्रद्धालु इन्हें पसीने वाले और नस वाले हनुमान जी के नाम से पुकारते हैं.
नैमिषारण्य की पवित्र भूमि पर हनुमानगढ़ी मंदिर है. यह दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर के नाम से प्रचलित है. इस मंदिर की कथा अहिरावण वध से जुड़ी हुई है.
लखनऊ के अलीगंज स्थित पुराने हनुमान मंदिर से हिंदू-मुस्लिम दोनों की आस्था जुड़ी है. कहा जाता है कि इस मंदिर को अवध के 6ठें नवाब सआदत अली खां की मां ने बनवाया था. इस मंदिर के शिखर पर पर चांद का चिह्न बना हुआ है.