हरदोई के राजा हरिण्यकश्यप

पौराणिक मान्यता के अनुसार हरदोई के राजा हरिण्यकश्यप था, जो कि अपने पुत्र प्रहलाद को मारने के लिए अपनी बहन होलिका को बुलाया .

Zee News Desk
Mar 24, 2024

भगवान ब्रह्मा का वरदान

होलिका को भगवान ब्रह्मा का वरदान था कि वो आग में नहीं जल सकती ,इसीलिए वो प्रहलाद को अग्नि कुंड में अपनी गोद में लेकर बैठ जाती है. लेकिन भगत प्रहलाद पर इस आग का कोई असर नहीं पड़ता, बल्कि होलिका इस कुंड में जल कर राख हो जाती है.

होली के नाम

नगरवासियों को जब यह पता चलता है, तो वो लोग बहुत खुश हो जाते हैं और अगले दिन रंगो से खेल कर जश्न मनाते हैं इसे हम आज होली के नाम से जानते हैं.

भगवान नृसिंह

होलिका का दहन जिस कुंड में हुआ था, वो अब भी यूपी के हरदोई जिले में मौजूद हैं. जहां आज भगवान नृसिंह की हरिणयकश्यप का वध करते हुऐ की मूर्ति स्थापित की गई है .

भगवान कृष्ण के वक्त

रंगो के इस त्यौहार को मनाने के तरीके भी समय के साथ बदलते गए. द्वापर में भगवान कृष्ण के वक्त से ही होली में पानी और लट्ठ का इस्तेमाल भी किया जाने लगा.

सूर्यास्त होने पर दहन

हर साल रंगो के पर्व को मनाने से पहले दिन लकड़ी का एक जाल बनाकर उसमें उपलों के साथ धोक लगाई जाती है,और सूर्यास्त होने पर दहन करके त्याहोर की शुरुआत की जाती है.

ब्रह्मा जी से वरदान

हिरण्यकश्यप को ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त था कि वह न किसी मनुष्य द्वारा मारा जा सकेगा न पशु द्वारा, न दिन में मारा जा सकेगा न रात में, न घर के अंदर न बाहर, न किसी अस्त्र के प्रहार से और न किसी शस्त्र के प्रहार से

भगवान विष्णु ने नरसिंह का अवतार

कहा जाता है कि होलिका के जलने के बाद भगवान विष्णु ने नरसिंह का अवतार लिया और हिरणकश्यप का वध कर दिया था. हिरणकश्यप के वध के बाद लोगों ने यहां होलिका की राख को उड़ाकर उत्सव मनाया था. तभी से अबीर-गुलाल उड़ाने की परंपरा की शुरुआत हुई.

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