चंद्रयान-3 ने बुधवार शाम को चंद्रमा की सतह पर उतरने के साथ ही इतिहास रच दिया.
भारत इसी के साथ दुनिया में चौथा ऐसा देश बना है, जिसके किसी यान ने चंद्रमा की सतह पर कदम रखा हो.. लेकिन भारत की कामयाबी इस मायने में अहम है कि चंद्रयान ने चंद्रमा के बेहद दुर्गम इलाके साउथ पोल में लैंडिंग की है
ISRO की स्थापना साल 1962 में हुई थी. उस दौरान इसको भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति कहा जाता था.
साराभाई भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति के मुखिया थे और उनके पास पैसों की तंगी तो थी ही साथ ही उनके पास गिने-चुने वैज्ञानिकों की टीम थी
रॉकेट लॉन्च करने के लिए उसके पार्ट्स को साइकिल पर लादकर लॉन्च सेंटर तक पहुंचाया गया था. यह तस्वीर आज भी मिसाल पेश करती है.
लॉन्च के पांच दशक बाद भी हम चांद, मंगल और उससे कहीं आगे तक यान भेज रहे हैं. यह इसरो की सफलता का रिपोर्ट कार्ड है
Dr. APJ Abdul Kalam भारत के राष्ट्रपति बने. रॉकेट इंजीनियरों की शुरुआती टीम में से थे. कलाम ने INCOSPAR की स्थापना की थी और बाद में TERLS का नाम विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र रखा
पहला रॉकेट 21 नवंबर 1963 को विक्रम साराभाई केंद्र से लॉन्च किया गया था. इसने भारतीय स्पेस प्रोग्राम की ऐतिहासिक शुरुआत की थी.
भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) 15 अगस्त 1969 को इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) बन गया.
चांद पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग वैज्ञानिकों की मेहनत का ही नतीजा है.