लखनऊ से दूर नहीं ये वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी, बरसात में भी दिखेंगे बाघ-तेंदुआ से लेकर घड़ियाल-मगरमच्छ

Rahul Mishra
Jul 26, 2024

कतर्नियाघाट

राजधानी लखनऊ से तकरीबन सवा 200 किलोमीटर और बहराइच से 100 किलोमीटर दूर नेपाल के बर्दिया नेशनल पार्क से सटा लखीमपुर जिले की सीमा पर आबाद कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग आबाद है.

जीव-जंतुओं का बसेरा

तराई क्षेत्र होने के कारण शाल, ढाक, साखू, सागौन समेत सैकड़ों प्रजाति के औषधीय पौधों, लहलहाती घास, बेंत, तालाब-पोखर, गेरुआ आदि इस जंगल में अलग-अलग प्रकार के जीव-जंतुओं का बसेरा है.

कितनी संख्या

551 वर्ग में फैले इस जंगल में ताजा सर्वे में 59 बाघ पाए गए हैं. यहां 100 की संख्या में हाथी, 70 से अधिक तेंदुआ, तीन गैंडा के अलावा बारासिंघा, चीतल, पाढ़ा, कांकड़ सहित अनगिनत दुर्लभ जीव-जंतु पर्यटन का रोमांच बढ़ाते हैं.

घड़ियाल, मगरमच्छ का संसार

गेरुआ नदी में गांगेय डाल्फिन की उछल-कूद के साथ घड़ियाल, मगरमच्छ, कछुआ और महाशेर मछली का संसार बसता है.

साइबेरियन पक्षी

साइबेरियन पक्षियों के साथ बाज, मोर, दूधराज समेत सैकड़ों प्रजाति के पक्षियों की दुनिया कदम-कदम पर नजर आती हैं.

कैसे जाए

बहराइच से निजी साधन के अलावा ट्रेन और बस से कतर्निया जंगल पहुंच सकते हैं.

जंगल सफारी

ट्रेन से यात्रा करते समय बिछिया रेलवे स्टेशन उतरें और वहां से जंगल सफारी के जरीए से जंगल का भ्रमण कर सकते हैं.

सरकारी गेस्ट हाउस

मोतीपुर, ककरहा व कतर्निया घाट में एक-एक सरकारी गेस्ट हाउस अतिथियों के स्वागत के लिए बने हुए है.

थारू हट

वन निगम ने इको-टूरिज्म के तहत मोतीपुर में तीन थारू हट तथा 12 बेड की डारमेट्री, ककरहा में चार व कतर्निया में छह थारू हट पर्यटकों के लिए किराए पर उपलब्ध है.

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