Amrish Kumar Trivedi
Jul 26, 2024

इंद्रसेना था पहला नाम

ऋषि मुद्गल का विवाह इन्द्रसेना नामक सुंदर कन्या से हुआ था. दुर्भाग्य से मुदुल की मृत्यु विवाह के तुरंत बाद हो गई.

पति के जाने का दुख

इंद्रसेना को अपने पति के जाने का भारी दुख हुआ कि वो वैवाहिक जीवन का भोग नहीं कर सकी.

घोर तपस्या

भगवान शंकर की घोर तपस्या कर इंद्रसेना ने वर मांगा कि अगले जन्म में उसे ऐसा पति चाहिए जो धर्म का जानकार हो, अपार बलशाली हो, सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर हो, सबसे सुन्दर हो सहनशीलता हो.

पांच पति का वरदान

महादेव ने कहा, एक ही पुरुष में ये सारे गुण असंभव है. इन्द्रसेना अड़ी रही तो महादेव ने कहा, तुमने 5 बार अलग गुणों के पति की कामना की है, तो तुम्हारे पांच पति होंगे.

पांचाली नाम

पांचाल देश के राजा द्रुपद के घर द्रौपदी का जन्म हुआ. पांचाल की राजकुमारी से उनका नाम पांचाली भी पड़ा.

द्रौपदी की चाह

द्रौपदी को इंद्राणी शचि का अवतार भी माना जाता है. पुत्री के विवाह के लिए द्रुपद ने महायज्ञ किया. द्रुपद चाहते थे द्रौपदी को अर्जुन पति के रूप में मिले.

घूमती मछली

स्वयंवर में घूमती हुई मछली के आंखों को नीचे रखे तेल में उसका प्रतिबिंब देख कर भेदने की चुनौती दी ताकि अर्जुन वो काम कर सकें.

कर्ण फेल

महाभारत के दक्षिणात्य पाठ में उल्लेख है कि महारथी कर्ण ने वो धनुष उठा तो लिया किन्तु उस पर प्रत्यंचा चढाने में असफल रहा

अर्जुन की ताकत

अर्जुन ने उस धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई और मछली की आंखों को एक ही बाण से बेद कर द्रौपदी का वरण कर लिया.

द्रौपदी के साथ पांडव

द्रौपदी के साथ पांडव आश्रम पहुंचे और माता कुंती से ये कहा कि वे एक अद्भुत उपहार लाएं तो कुंती ने पांचों भाइयों बराबर बांट लेने की सलाह दी.

5 पांडवों से विवाह

धर्मसंकट आया तो महर्षि व्यास और श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को धर्मपूर्वक पांचों पांडवों से विवाह करने को कहा. श्रीकृष्ण ने उन्हें पिछले जन्म में महादेव के सपने की याद भी दिलाई.

द्रौपदी को वरदान

महर्षि व्यास ने द्रौपदी को चिरकुमारी होने का वरदान दिया. प्रत्येक रात्रि के बाद उसका कौमार्य पुनः अक्षत हो जाएगा. वो पवित्र भाव से अपने सभी पतियों के साथ रह सकती है.

पांडव का 1-1 साल

देवर्षि नारद जब युधिष्ठिर से मिले तो उन्होंने कहा कि एक नियम हो जिससे द्रौपदी एक समय में एक ही पांडव के साथ एक वर्ष तक रह सके.

12 वर्ष वनवास

लेकिन उसी नियम का उल्लंघन करने पर अर्जुन को 12 वर्ष वनवास में बिताने पड़े. द्रौपदी को पांडवों से 1-1 पुत्र प्राप्त हुआ.

द्रौपदी के पुत्र

द्रौपदी को युधिष्ठिर से प्रतिविंध्य, भीम से सुतसोम, अर्जुन से श्रुतकर्मा, नकुल से शतानीक एवं सहदेव से श्रुतसेन नामक पुत्र हुआ. दुर्भाग्य से अश्वत्थामा ने इन सभी का वध कर दिया.

डिस्क्लेमर

पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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