भगवान शिव के डमरू का विज्ञान से क्या है नाता Lord Shiva Damru Amazing facts

शिवजी के डमरू का विज्ञान से जो संबंध है आइए उस बारे में जानते हैं.

Padma Shree Shubham
Jul 21, 2023

कहते हैं कि प्रकृति की जब रचना हो रही थी भगवान शिव ने डमरू के माध्यम से अपना योगदान दिया था जोकि प्रकृति का सबसे पहला वाद्य यंत्र के रूप में जाना गया.

अंतरिक्ष की खोज करने वाली एजेंसी NASA ने एक आकृति की खोज की और उसे नाम दिया क्रैब नेबुला जिसकी आकृति भगवान शिव के डमरू के जैसी ही थी.

क्रैब नेबुला आकृति को भारतीय वैज्ञानिकों की ओर से शिव का डमरू नाम दिया गया है.

पृथ्वी से 6500 प्रकाश वर्ष की दूरी पर Crab Nebula स्थित है.

अंतरिक्ष विज्ञान के तय नियमों पर यह प्रमाणित हुआ है कि Crab Nebula से अंतरिक्ष में ध्वनि आ ही रही है.

यह प्रमाणित हुआ है कि Crab Nebula से बहुत कुछ नया उत्पन्न हो रहा है, कह सकते हैं कि इससे सृष्टि का सृजन हो रहा है.

वास्तु और डमरू की बात करें तो डमरू की ध्वनि फैलने से घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं कर पाती है.

मान्यता है कि डमरू से कई तरह के चमत्कारी मंत्रों की उत्पत्ति होती है जिसकी ध्वनि से व्यक्ति को शक्ति मिलती है और रोगों से मुक्ति मिलती है.

ज्योतिष के अनुसार यदि बच्चों के कमरे में डमरू रखें तो नकारात्मक प्रभाव से बच्चे बचे रहते हैं. उनके आगे बढ़ते रहने में कोई बाधा उत्पन्न नहीं होती.

डमरू की ध्वनि इतनी शक्तिशाली होती है कि इससे मानसिक तनाव दूर होने में मदद मिलती है और मन शांत होता है.

डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की हम पुष्टि नहीं करते हैं.

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