शास्त्र में बताया गया है कि हाथ पर कलावा बांधने की शुरुआत माता लक्ष्मी ने की थी.
मां लक्ष्मी ने सबसे पहले रक्षा सूत्र राजा बलि के हाथ पर बांधकर इस परंपरा की शुरुआत की थी.
नियम के अनुसार कलावा कलाई पर सिर्फ तीन बार लपेटा जाता है. तीन बार लपेटने भर से ब्रह्मा, विष्णु और महेश की कृपा प्राप्त हो जाती है.
येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः, तेन त्वां मनुबध्नामि, रक्षंमाचल माचल
मान्यता है कि मंत्र के साथ कलावा बांधने से वो ज्यादा प्रभावी हो जाता है. याद रहे कलावा बांधते समय मुठ्ठी बंद रहनी चाहिए और दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए.
शास्त्रों की मानें तो कलावा को हर अमावस्या पर उतार देना चाहिए और अगले दिन नया बांध लेना चाहिए. इसके अलावा ग्रहण काल के बाद कलावा बदलना चाहिए.
कलावा बांधने का धार्मिक मान्यता के साथ साथ वैज्ञानिक कारण भी है. शरीर के ज्यादातर अंगो तक पहुंचने वाली नसें कलाई से होकर गुजरती है.
ऐसे में कलाई पर कलावा बांधने से नसों की क्रिया नियंत्रित बनी रहती है शरीर में त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ संतुलित रहता है.
यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE UP/UK इसकी पुष्टि नहीं करता है.