कलाई पर कलावे के बिना अधूरी है पूजा, इस दिवाली में ऐसे पहनें मौली

Nov 07, 2023

माता लक्ष्मी

शास्त्र में बताया गया है कि हाथ पर कलावा बांधने की शुरुआत माता लक्ष्मी ने की थी.

परंपरा की शुरुआत

मां लक्ष्मी ने सबसे पहले रक्षा सूत्र राजा बलि के हाथ पर बांधकर इस परंपरा की शुरुआत की थी.

तीन बार लपेटा जाता है

नियम के अनुसार कलावा कलाई पर सिर्फ तीन बार लपेटा जाता है. तीन बार लपेटने भर से ब्रह्मा, विष्णु और महेश की कृपा प्राप्त हो जाती है.

मंत्र का उच्चारण

येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः, तेन त्वां मनुबध्नामि, रक्षंमाचल माचल

ज्यादा प्रभावी

मान्यता है कि मंत्र के साथ कलावा बांधने से वो ज्यादा प्रभावी हो जाता है. याद रहे कलावा बांधते समय मुठ्ठी बंद रहनी चाहिए और दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए.

अमावस्या पर उतार देना चाहिए

शास्त्रों की मानें तो कलावा को हर अमावस्या पर उतार देना चाहिए और अगले दिन नया बांध लेना चाहिए. इसके अलावा ग्रहण काल के बाद कलावा बदलना चाहिए.

वैज्ञानिक कारण

कलावा बांधने का धार्मिक मान्यता के साथ साथ वैज्ञानिक कारण भी है. शरीर के ज्यादातर अंगो तक पहुंचने वाली नसें कलाई से होकर गुजरती है.

नसों की क्रिया

ऐसे में कलाई पर कलावा बांधने से नसों की क्रिया नियंत्रित बनी रहती है शरीर में त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ संतुलित रहता है.

Disclaimer:

यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE UP/UK इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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