रांची के कपड़गड़ी घाटी में स्थित इस मंदिर में रंकिणी माता स्वंय विराजमान है.
माता रंकिणा पहले कन्या के रूप नें विराजमान थी, अब वे मूर्ति में तब्दील हो गई है.
इस मंदिर की स्थापना साल 1947 में हुई थी.
इस मंदिर में लाल चुनरी में नारियल बांधने की परंपरा सालों से चली आ रही है.
मान्यताओं की मानें, तो ऐसा कहा जाता है कि मां की मूर्ति का आकार हर साल अपने मूल आकार से बदल जाता है.
हर साल बढ़ते आकार को भक्त देवी मां के महिमा और दिव्य उपस्थिति का प्रमाण मानते हैं.
ऐसी मान्यता है कि देवी माता पहले जंगलों में वास करती थी. लेकिन एक दिन किसी शिकारी के पीछा करने के बाद वह पत्थर का रूप धारण कर ली.
मंदिर में देवी मां के दिव्य दरबार और उनकी अलौकिक शक्तियों के देखने के लिए हर साल देशभर से श्रद्धालु देवी जी के दर्शन करने आते हैं.
यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE UP/UK इसकी पुष्टि नहीं करता है.