सनातन धर्म में प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली का त्योहार मनाया जाता है. इस वर्ष यह पर्व 12 नवंबर को मनाया जाएगा.
कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को भगवान श्री राम 14 वर्षों के बाद वनवास की समय अवधि पूर्ण करके अपनी जन्मभूमि अयोध्या नगरी लौटे थे. इस उपलक्ष में संपूर्ण अयोध्या वासियों ने दीपोत्सव का आयोजन किया गया.
तब से हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को दीपावली का त्योहार उसी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है.
हिंदू धर्म में प्रख्यात ग्रंथ महाभारत में यह बताया गया है कि कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को पांडव 13 वर्षों का वनवास पूरा कर अपने घर लौटे थे.
पांडवों के वापस घर आगमन की खुशी में नगरवासियों ने दीपोत्सव के साथ उनका स्वागत किया था. मान्यता है कि तब से ही दिवाली पर्व मनाया जाता है.
माना जाता है कि कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था. इसलिए दिवाली के दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से सुख-समृद्धि, धन, यश और वैभव सभी की प्राप्ति होती है और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है.
भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया, इस विजय के उपलक्ष में 2 दिन तक खुशियां मनाई गई थी. जिसे नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली और दिवाली के रूप में जाना जाता है.
दी गई जानकारी दूसरे विभिन्न स्रोतों से एकत्रित की गई, हम इसकी पुष्टि नहीं करते.