पुराण, वेद और बाकी धर्मग्रंथों में साफ बताया गया है कि व्यक्ति की मौत के बाद भी कुछ चीजें उसके साथ अगले जन्म तक जाती हैं.
हमार शरीर हमारी आत्मा के लिए कपड़े की तरह है. शरीर किस तरह की आत्मा चुनता है ये उसके कर्म पर निर्भर करता है.
ऐसी मान्यता है कि जीवित रहते हुए व्यक्ति जो गुण सीख लेता है उसेक साथ मृत्यु के बाद भी रुक जाते हैं. इसलिए अच्छा ज्ञान और गुण सीखें.
ग्रंथों के अनुसार, अगर किसी चीज को पाने की चाहत रखतें हैं और वह चीज व्यक्ति को नहीं मिले तो मौत के बाद भी उस चीज की कामना बनी रहती है.
गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा तत्काल ही नया शरीर धारण कर लेती है. यानी आत्मा का दूसरा जन्म हो जाता है.
कुछ आत्माओं को दूसरा शरीर धारण करने में तीन तो किसी को 10 से 13 दिन तो किसी को दूसरा जन्म सवा महीने बाद मिलता है.
मृतक का जन्म किस योनि में और कितने दिन बाद होगा, यह उसके कर्मों और परिवार द्वारा किए गए कर्मकांड पर निर्भर करता है.
हालांकि आत्म मरने के बाद कहां चली जाती है इस सवाल का जवाब अब तक नहीं मिला है. बस धर्मग्रंथो के आधार पर हम ये जान लेते हैं
आचार्यों के मुताबिक शरीर से निकलने के बात आत्माएं आमतौर पर कुछ समय तक विश्राम स्थिति में होती हैं. इसके बाद वे नया शरीर धारण करती हैं.
वैदिक ग्रंथ के अनुसार आत्मा पांच तरह के कोश में रहती है.
पुराणों के अनुसार जब भी मनुष्य मरता है या आत्मा शरीर को त्यागकर यात्रा शुरू करती है तो इस दौरान इस तीन मार्ग मिलते हैं. आत्मा के मरने की दिशा उसके कर्म और मरने की तिथि के अनुसार तय होती है.
यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.