चिकन-एंब्रायडरी वाले कढ़ाईदार कपड़ों की खान है यूपी का ये बाजार, 500 में भी डिजायनर पोशाक

2 तरह का चिकन

नवाबों के शहर 'लखनऊ' में 2 चिकन लोकप्रिय हैं. एक खाने वाला तो दूसरा पहनने वाला. जी हां, यहां की मशहूर चिकनकारी कढ़ाई दुनियाभर की पसंद है.

चिकनकारी

चिकनकारी पारंपरिक कढ़ाई है. जो सुई और कई प्रकार के धागों का उपयोग करके की जाती है. जबकि जरी जरदोजी का काम सुनहरे और चमकदार सेक्विन और अन्य सजावटी सामग्री के साथ किया जाता है.

क्या है चिकनकारी?

चिकनकारी शब्द का मतलब है कढ़ाई. इसका नाम फारसी शब्द चिकिन या चाकेन से लिया गया है. इसका मतलब है 'कढ़ाई वाला कपड़ा'. यह लखनऊ के सबसे पुरानी और बेहतरीन टेक्सटाइल डेकोरेशन स्टाइल्स में से एक है.

शुरुआत

चिकनकारी की कढ़ाई मुगल बादशाह जहांगीर की बेगम नूरजहां के दौर में भारत आई थी. माना जाता है कि बेगम नूरजहां की एक कनीज को चिकनकारी का काम आता था. उसी ने अन्य महिलाओं को भी इस नायाब कला से रूबरू करवाया था.

नाम कैसै पड़ा

चिकन शब्द एक टर्किश शब्द 'चिख' से ईजाद हुआ है. इसका अर्थ हिंदी में छोटे-छोटे छेद करना होता है. मुर्रे, जाली, बखिया, टेप्‍ची, टप्‍पा आदि चिकनकारी के 37 प्रकारों में से ये कुछ प्रमुख नाम हैं.

चिकनकारी की प्रक्रिया

इस कला की बुनियादी चरणों में कपड़ों का काटना, सिलाई, छपाई, कढ़ाई, धुलाई और फिनिशिंग करना शामिल हैं.

500 से 5000 के कपड़े

लखनऊ में आप सबसे सस्‍ता और अच्‍छा चिकनकारी आउटफिट चौक बाजार में मिलता है. यहां आपको 500 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक के कीमती चिकनकारी के डिजाइन देखने को मिल जाएंगे.

मार्केट

सभी लोग लखनऊ की सबसे प्रसिद्ध और लोकप्रिय मार्केट अमीनाबाद और आलमबाग से भी चिकनकारी कढ़ाई किए कपड़े खरीद सकते हैं.

चिकनकारी कुर्ती

आजकल युवतियों में चिकनकारी कुर्ती काफी प्रचलित है. चिकनकारी कढ़ाई पहले सिर्फ मलमल पर होती थी. परंतु अब कढ़ाई हर तरह के कपड़े पर होती है.

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