श्रुतायुध महाभारत द्रोणपर्व के अनुसार, वरुण देव और पर्णाशा का पुत्र था. उसके पास एक ऐसी गदा थी, जो युद्धकर्त्ता पर फेंकने से उसका नाश कर देती थी.
पर्णाशा ने अपने पुत्र के लिए पति वरुण देवता से ऐसा वरदान मांगा था कि कोई भी उसका वध न कर सके. इसके बाद वरुण देव ने यह वरदान दिया.
लेकिन युद्ध न करने वाले पर चलाने से पर वह गदा चलाने वाले के ही प्राण हर लेती थी. श्रुतायुध को यह गदा उनके पिता वरुण ने दी थी.
पिता वरुण ने श्रुतायुध को गदा देते हुए इसे युद्ध न करने वाले पर प्रयोग न करने की चेतावनी भी दी थी, क्योंकि यह आत्मघाती साबित होती.
यह गदा जादुई शक्तियों के साथ भीम की विशाल गदा से भी ज्यादा शक्तिशाली थी. श्रुतायुद्ध की गदा को उठाना हर किसी के वश में भी नहीं था.
महाभारत युद्ध में अर्जुन और शूरवीर राजा श्रुतायुध का युद्ध हुआ. उन्होंने अर्जुन पर बाणों की वर्षा की, फिर अर्जुन ने गांठ वाले 90 बाणों से राजा श्रुतायुध को चोट पहुंचाई.
अर्जुन को सलाह दे रहे उनके रथ के सारथी श्रीकृष्ण पर भी श्रुतायुद्ध ने बाण चलाए और उन्हें घायल कर दिया. लेकिन उनका रक्षा कवच अर्जुन बन गए.
श्रुतायुध के धनुष और तरकस के भी टुकड़े-टुकड़े कर दिए.अर्जुन ने श्रुतायुध पर हजारों बाण की वर्षा कर घायल कर दिया.
पिता वरुण के आदेश उल्लंघन करते हुए वीरघातिनी गदा से भगवान श्रीकृष्ण को चोट पहुंचाई. पराक्रमी श्रीकृष्ण ने अपने हष्ट–पुष्ट कंधे पर उस गदा का वार सह लिया.
लेकिन वो जादुई गदा ने लौटकर वहां खड़े हुए वीर श्रुतायुध पर उल्टे ही प्रहार किया और वो मारा गया. वीर श्रुतायुध का वध करके वह गदा धरती पर जा गिरी.
लौटी हुई गदा से मारे गए वीर श्रुतायुध को मरते देखकर कौरव सेना में हाहाकार मच गया. सभी कौरव योद्धा वहां से भाग खड़े हुए.
पौराणिक पात्रों की यह कहानी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों में किए गए उल्लेख पर आधारित है. इसके एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.