काशी की अजब होली, चिता की राख तन पर लपेटकर जश्न मनाते हैं महादेव के भक्त

Amitesh Pandey
Mar 20, 2024

Masan Holi 2024

बनारस की विश्‍व प्रसिद्ध मसाने की होली बुधवार को खेली गई. मान्‍यता है कि मसाने की होली हर साल फाल्‍गुन माह की रंगभरी एकादशी के एक दिन बाद खेली जाती है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक, मसाने की होली की शुरुआत भगवान शिव ने की थी. इस दिन चिता की राख से होली खेलते हैं.

माना जाता है कि रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ पहली बार माता पार्वती के साथ विवाह के बाद पहली बार काशी आए थे.

माता पार्वती के काशी आने पर शिव भक्‍तों ने गुलाल आदि से स्‍वागत किया था.

इसलिए रंगभरी एकादशी का विशेष महत्व है. इस दिन भगवान भोले नाथ और मां पार्वती की विशेष पूजा होती है.

भगवान शिव ने ही मसाने की होली की शुरुआत की थी. इसे भस्‍म होली भी कहते हैं.

मणिकर्णिका घाट पर चिता के राख से होली खेलते हुए भक्‍त मसान नाथ मंदिर जाते हैं.

यहां भगवान शिव को भस्‍म चढ़ाने के बाद एक-दूसरे को चिता की भस्म लगाकर मसान होली खेलते हैं.

बता दें कि 16वीं शताब्दी में जयपुर के राजा मान सिंह ने गंगा नदी के किनारे मणिकर्णिका घाट पर मसान मंदिर बनवाया था.

स्‍थानीय लोगों का कहना है कि यहां रोजाना 100 लोगों का अंतिम संस्कार किया जाता है.

हर साल मसान होली खेलने के लिए विशेष रूप से 4000 से 5000 किलो लकड़ी जलाई जाती है.

मान्‍यता है कि किसी की मृत्यु पर शोक मनाने के बजाय, मृत्यु को जीवन का एक चक्र मानकर मनाया जाना चाहिए.

पूरी दुनिया में सिर्फ काशी में मसान की होली खेली जाती है. शिवपुराण और दुर्गा सप्‍तशती में भी मसान होली का उल्‍लेख है.

वहीं, इस साल रंग वाली होली 25 मार्च 2024 को खेली जाएगी.

VIEW ALL

Read Next Story