लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं.
आज हम आपको यूपी की ऐसी लोकसभा सीटों के बारे में बताएंगे जहां मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
रामपुर लोकसभा में 52 प्रतिशत मतदाता मुसलमान हैं, देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद यहां से ही सांसद थे.
मेरठ में 2019 के आंकड़ों के अनुसार 18 लाख 94 हजार मतदाता हैं.
जिसमें सबसे ज़्यादा आबादी मुसलमानों की है. मेरठ में 5 लाख 50 हजार मुस्लिम मतदाता हैं.
17 लाख की मतदाताओं वाली शामली की कैराना लोकसभा में 5 लाख 50 हजार मुस्लिम आबादी है.
कहा जाता है कि मुसलमानों ने जिसकी तरफ रुख किया जीत का सेहरा उसके सिर बंधा है.
2009 में अस्तित्व मे आई इस सीट पर 50 प्रतिशत से ज्यादा मतदाता मुस्लिम समाज के हैं.
यहां से आज तक कोई सांसद दोबारा चुनाव नहीं जीत पाया है.
2019 के आंकड़ों के अनुसार मुरादाबाद मे लगभग 19 लाख 50 हजार मतदाता हैं, जिसमें 8 लाख 80 हजार मुस्लिम वोटर हैं.
आजादी से लेकर 2019 तक केवल एक बार 2014 में ही भाजपा अपना विजय पताका लहराया पाई है. यहां मुसलमान वोटर निर्णायक की भूमिका में हैं.
लकड़ी पर खूबसूरत नक्काशी और इस्लाम के देवबंदी थॉट ऑफ स्कूल के लिए दुनियाभर में मशहूर सहारनपुर में लंबे वक्त तक मुस्लिम केंद्रित सियासत हावी रही.
यहां लगभग 41 प्रतिशत मतदाता मुसलमान हैं, किसी समय यह जिला बहुजन समाज पार्टी का गढ़ हुआ करता था.