Ganesh ChaturthI 2022: गणेश उत्सव पर बाजार में कई कई तरह की गणपति की मूर्तियां घर ले आ सकते हैं. आइए इस बारे में और जानें.
भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्ति घर लाना बहुत शुभ होता है. इस प्रकार की मूर्ति इको फ्रेंडली भी होता है.
भगवान शिव को आक का पौधा अति प्रिय है और इसकी जड़ से गणेश जी की आकृति बनाने की परंपरा है जिसे श्वेतार्क गणेश कहा जाता है.
आक के पौधे की जड़ की सफाई कर इससे गणेशजी की आकृति बनाई जाती है. इसके बाद श्वेतार्क गणेश को घर के मंदिर में स्थारित किया जाता है.
हल्दी को पीसकर उसे पानी मिलाकर आटा की तरह गुंदा जाता है और फिर गणेश जी की आकृति बनाई जाती है.
हल्दी की कई गांठ गणपति की आकृति समान होती है जिन्हें मंदिर में रखकर विधिवत पूजा की जाती है.
गाय का गोबर काफी पवित्र माना गया है, इसमें मां लक्ष्मी के वास होने की भी मान्यता है.
गाय के गोबर से बनी गणपति की आकृति को मंदिर में स्थापित किया जा सकता है. खास बात ये है कि इस तरह की मूर्ति इकोफेंडली भी होगी.
पीपल, आम और नीम की लकड़ी को शुद्ध और बहुत शुभ माना जाता है.
लकड़ी से बनी गणेश जी की मूर्ति का बहुत महत्व है, इस मूर्ति को प्रवेश द्वार के बाहर और ऊपर के भाग में रखने का नियम है.