प्रयागराज से 40 किमी दूर गंगा के तट पर स्थित श्रृंगवेरपुर निषादराज का ऐतिहासिक गांव है, जहां श्रीराम ने वनवास यात्रा में सबसे पहले विश्राम किया था.
यहीं श्रीराम और निषादराज का ऐतिहासिक मिलन हुआ. यह स्थल रामायण के केवट प्रसंग के लिए प्रसिद्ध है.
केवट ने भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण को गंगा पार कराई थी। इस घटना का सुंदर चित्रण यहां किया गया है.
पार्क में श्रीराम और निषादराज के गले मिलने की 51 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा स्थापित की गई है.
यहां के निर्माण में त्रेता युग के माहौल को जीवंत बनाने का प्रयास किया गया है 32 बीघा जमीन पर 165 करोड़ की लागत से निर्मित पार्क रामायण काल के प्रसंगों को दर्शाता है.
चित्रकूट में राम-सीता-लक्ष्मण की कुटिया और उनके वनवास का भावुक दृश्य यहां दिखाया गया है.
अयोध्यावासियों के विलाप और श्रीराम के वनगमन का मार्मिक चित्रण दीवारों पर किया गया है.
श्रृंगवेरपुर धाम पुत्र प्राप्ति की कामना करने वाले श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है. यह धाम केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल के रूप में उभर रहा है.
राजा दशरथ और कौशल्या की एक पुत्री थीं. जिनका नाम शांता था. जिन्हें कौशल्या की बहन वर्षिणी और उनके पति अंग देश के राजा रोमपद ने गोद लिया था. बाद में शांता का विवाह ऋषि श्रृंगी से कर दिया गया.
यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं.कंटेंट का उद्देश्य मात्र आपको बेहतर सलाह देना है. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता. इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं.