भारत में कुछ राज्य ऐसे हैं, जहां पर आज भी महिलाएं कद्दू नहीं काटती हैं. धार्मिक आधार पर ये मान्यता है कि अगर कद्दू को महिलाएं काटती हैं, तो ये उनके बड़े बेटे के बलि देने के सामान होता है
हिंदू धर्म में कु्म्हड़ा को सात्विक पूजा में बलि का प्रतिरूप माना गया है. इसलिए महिलाओं से जुड़े कुछ नियम बनाए गए हैं..
जब पुरुष कद्दू पर एक बार चाकू चला देता है तो उसके बाद ही महिलाएं कद्दू काटती हैं.
कद्दू सिर्फ एक आम सब्जी नहीं है. इसके पीछे कुछ धार्मिक तथ्य भी हैं.
इसलिए माना जाता है कि भारतीय महिलाएं कद्दू काटने से परहेज करने लगीं.
आदिवासी समाज में कद्दू का बड़ा महत्व होता है. इस समाज में लोग कद्दू की पूजा करते हैं. इस क्षेत्र में अगर कोई कद्दू चुरा लेता है, तो उसको कठोर दंड दिया जाता है.
कई जगहों पर कद्दू काटा जाता है तो उसे भी पुश बलि के बराबर का दर्जा दिया जाता है.
कद्दू में कई पोषक तत्व पाए जाते हैं. सेहत के लिए ये काफी फायदेमंद होता है.
कद्दू को कई नामों से जाना जाता है. सनातन धर्म में कुम्हड़ा को लेकर कई नाम प्रचलित हैं.