हिन्दू परंपरा में तुलादान का विशेष महत्व माना गया है. तुलादान में जिस व्यक्ति पर संकट होता है, उसके वजन के बराबर कोई वस्तु तौलकर दान की जाती है. तो आइये जानते हैं तुलादान क्यों किया जाता है?.
तुलादान में फल, अनाज, मिठाई आदि वस्तुएं तौली जाती हैं. तुलादान कभी भी किया जा सकता है.
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, तुलादान से पाप मिट जाते हैं और व्यक्ति के जीवन में भाग्य का उदय होता है.
जानकारी के मुताबिक, शरीर के हर भाग पर किसी न किसी ग्रह का अधिकार होता है. तुलादान करने से सभी ग्रहों के निमित्त दान हो जाता है. इससे जिन-जिन ग्रहों के दोष होते हैं वह समाप्त हो जाते हैं.
तुलादान करने से स्वास्थ्य लाभ और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.
बताया गया है कि 16 महादानों में पहला महादान तुला दान या तुलापुरुष दान है.
तुलादान की परंपरा पौराणिक काल से चली आ रही है. सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण ने तुलादान किया था.
इसके बाद राजा अम्बरीष, परशुराम जी, भक्त प्रह्लाद आदि ने भी तुलादान किया है.