हिंदू धर्म में पूजा-पाठ का बहुत महत्व है. लोग रोजाना सुबह-शाम भगवान की पूजा करते हैं. इससे जहां मन की शांति मिलती है. वहीं, दूसरी तरफ भगवान भी प्रसन्न होते हैं.

Chandra Shekhar Verma
Jul 27, 2023

कई लोग सोचते हैं कि पूजा तो रोज करते हैं, लेकिन उसका फल प्राप्त नहीं होता है. हो सकता है कि पूजा के दौरान कोई गलती हो रही हो.

ऐसे में जरूरी है कि सही समय पर पूजा की जाए और सही नियमों का ध्यान रखा जाए.

सही समय पर पूजा करने से ही पुण्य फल प्राप्त होगा, वरना पूजा अधूरी मानी जाती है.

भगवान पूजा को तभी स्वाकीर करते हैं, जब पूजा सही समय पर की गई हो. हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के लिए समय निर्धारित किए गए हैं.

दोपहर 12 बजे से लेकर 3 बजे तक पूजा नहीं करनी चाहिए. इस समय की गई पूजा का फल प्राप्त नहीं होता है.

पूजा के पहले कभी आरती नहीं करनी चाहिए. आरती हमेशा पूजा के आखिर में की जाती है. ऐसी मान्यता है कि आरती के बाद देवी-देवता निद्रा में चले जाते हैं.

महिलाओं को माहवारी के समय पूजा-पाठ नहीं करना चाहिए और न ही देवी-देवताओं की मूर्ति, पूजन सामग्री और पवित्र पेड़-पौधों को छूना चाहिए.

घर में जब सूतक लगा हो, तब भी पूजा नहीं करनी चाहिए. इसके साथ ही ग्रहण में भी पूजा-पाठ न करें. हालांकि, भगवान का ध्यान और मंत्रों का जाप किया जा सकता है.

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, दिनभर में 5 समय पूजा की जा सकती है. पहली पूजा सुबह 4:30 से 5 बजे तक, दूसरी पूजा सुबह 9 बजे तक, मध्याह्न पूजा दोपहर 12 बजे तक, संध्या पूजा शाम 4:30 से 6 बजे तक और शयन पूजारात 9 बजे तक की जा सकती है.

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