सुप्रीम कोर्ट ने अमरावती की सांसद नवनीत कौर राणा को लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बड़ी राहत दी है.
सर्टिफिकेट बहाल
गुरुवार को, सुप्रीम कोर्ट ने नवनीत कौर राणा के अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र को बहाल करने का आदेश सुनाया.
लड़ेंगी चुनाव
SC के फैसले से, नवनीत कौर राणा के आरक्षित सीट से बीजेपी टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया है.
कब की बात?
मुंबई के डिप्टी कलेक्टर ने 30 अगस्त, 2013 को नवनीत कौर राणा का जाति प्रमाण पत्र जारी किया. इसमें उनकी जाति 'मोची' लिखी थी.
हुई शिकायत
शिवसेना नेता आनंदराव ने शिकायत की थी कि राणा ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जाति प्रमाण पत्र हासिल किया है.
दो जातियां
'चमार' और 'मोची' दोनों जातियां 'संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950' के अध्याय 2 में शामिल हैं. 'चमार' जाति भी पंजाब की अधिसूचित अनुसूचित जाति सूची में शामिल है.
राणा की जाति
'मोची' चमार समुदाय की एक उप-जाति है. 2019 में अमरावती (SC) से जीत दर्ज करने वाली नवनीत कौर राणा ने चुनावी हलफनामे में अपनी जाति 'मोची' बताई थी.
पहला फैसला
आनंदराव की शिकायत पर महाराष्ट्र जिला जाति सर्टिफिकेट स्क्रूटनी कमटी ने राणा ने हक में फैसला सुनाया था. कमेटी ने सर्टिफिकेट को वैध पाया था.
हाई कोर्ट से झटका
इसके बाद आनंदराव हाई कोर्ट चले गए. बॉम्बे HC ने 2021 में नवनीत कौर राणा के जाति प्रमाण पत्र को रद्द करने का आदेश दिया था.
HC ने क्या कहा
HC ने फैसले में कहा कि रिकॉर्ड्स दिखाते हैं कि नवनीत कौर राणा 'सिख-चमार' जाति की हैं. 'सिख चमार' शब्द भारत के संविधान (अनुसूचित जाति), आदेश 1950 की अनुसूची II की प्रविष्टि 11 के तहत निर्धारित 'मोची' शब्द का पर्याय नहीं है.
राणा का दावा
नवनीत कौर राणा ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई. कहा कि उनके पूर्वज सिख-चमार जाति से थे. सिख एक धार्मिक उपसर्ग है और उनकी जाति नहीं बतलाता.
SC से राहत
नवनीत कौर राणा का कहना था कि वह 'चमार' जाति से आती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बॉम्बे HC के फैसले को पलट दिया.