'रायबरेली कांग्रेस का मजबूत गढ़ नहीं', अखिलेश यादव ने ऐसा क्यों कह दिया

Vinay Trivedi
Feb 15, 2024

सोनिया के रायबरेली सीट छोड़ने पर अखिलेश का बयान

सोनिया गांधी के रायबरेली सीट से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है. इस पर इंडिया गठबंधन के साथी और कांग्रेस के सहयोगी सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी बयान दिया है.

'रायबरेली को कांग्रेस का गढ़ नहीं'

बता दें कि सपा मुखिया अखिलेश यादव ने रायबरेली को कांग्रेस का गढ़ मानने से इनकार कर दिया है. अखिलेश यादव ने इस दौरान सपा की बड़ी भूमिका के बारे में भी बताया.

रायबरेली से क्यों नहीं लड़ रहीं सोनिया?

सोनिया गांधी के रायबरेली से न लड़ने को अखिलेश यादव ने कांग्रेस पार्टी का अंदरूनी मामला बताया. अखिलेश यादव ने साफ कहा कि यह उनकी पार्टी का निजी मसला है कि कौन कहां से चुनाव लड़े.

'रायबरेली है कांग्रेस की ट्रेडिशनल सीट'

वहीं, अमेठी-रायबरेली के कांग्रेस के मजबूत गढ़ के सवाल पर अखिलेश ने कहा कि रायबरेली और अमेठी कांग्रेस का मजबूत गढ़ तो नहीं है. लेकिन उनकी ट्रेडिशनल सीट है.

रायबरेली में सपा अहम क्यों?

इस दौरान अखिलेश यादव ने अमेठी और रायबरेली में समाजवादी पार्टी की इंपॉर्टेंस के बारे में भी बताया. अखिलेश ने कहा कि सपा ने हमेशा कांग्रेस के लिए अमेठी और रायबरेली की सीट छोड़ी है.

सोनिया ने पहली बार कब लड़ा चुनाव?

बता दें कि सोनिया गांधी ने पहली बार 1999 में अमेठी सीट से चुनाव लड़ा था. पहले ही प्रयास में सोनिया को जीत मिली थी और अमेठी की जनता ने उन्हें लोकसभा पहुंचा दिया था.

रायबरेली से कब सांसद बनीं सोनिया?

फिर 2004 में सोनिया गांधी ने सीट बदल ली और रायबरेली से लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमाई. यहां भी सोनिया को जनता का प्यार मिला और वह लोकसभा में सांसद बनकर पहुंच गईं.

सोनिया ने जीते लगातार 5 चुनाव

सोनिया गांधी 1999 से लगातार चुनाव जीत रही हैं. सोनिया ने 1999, 2004, 2009, 2014 और 2019 में लगातार चुनाव जीता. उन्हें कोई भी टक्कर नहीं दे पाया.

सोनिया ने लिया रायबरेली सीट छोड़ने का फैसला

हालांकि, अब सोनिया गांधी ने लोकसभा चुनाव लड़ने से किनारा कर लिया है. रायबरेली सीट छोड़ने के ऐलान के साथ ही सोनिया गांधी ने अमेठी की जनता के नाम एक लेटर भी लिखा है.

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