हमरी अटरिया पे आजा रे सांवरिया… गजल मल्लिका की कुछ दिलचस्प बातें

“हमरी अटरिया पे आजा रे सांवरिया” और "ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया" जैसे शानदार फीलिंग से भरे सांग्स गाने वाली बेगम अख्तर की पहचान आज पूरे संगीत जगत में है.

1. संगीत की धरोहर

उत्तर प्रदेश में अख्तरी बाई फैजाबादी के नाम से जन्मीं, बेगम अख्तर ने कम उम्र से ही असाधारण संगीत प्रतिभा का प्रदर्शन किया. इनके गुरु उस्ताद अता मोहम्मद खान और उस्ताद अब्दुल वहीद खान थे. जिन्होंने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में उनकी नींव को मजबूत बनाया.

2. गजलों की मलिका

गजल गायकी में बेगम अख्तर की महारत ने उन्हें "मलिका-ए-गजल" (गजलों की रानी) का खिताब दिलाया.

3. वाजिरा परिवार से ताल्लुक

बेगम अख्तर का ताल्लुक वाजिरा परिवार से भी था. उस समय भारत में वाजिरा परिवार कला खासकर संगीत की संरक्षक और प्रस्तुतकर्ता हुआ करती थी.

4. गजल से आगे

हालांकि गजल उनकी पहचान थी. लेकिन बेगम अख्तर ठुमरी, दादरा और यहां तक ​​कि फिल्मी गीतों जैसी अन्य विधाओं में भी शानदार गायिका थीं.

5. सम्मान और पुरस्कार

भारतीय संगीत में बेगम अख्तर के योगदान को भारत सरकार द्वारा पद्म श्री और पद्म भूषण जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी मिला.

6. ठुमरी विरासत

बेगम अख्तर की ठुमरी गायिकी, जो एक भावपूर्ण और तात्कालिक अभिव्यक्ति के लिए जानी जाने वाली अर्ध-शास्त्रीय विधा है, को विशेष रूप से सराहा गया.

7. अंतर्राष्ट्रीय ख्याति

बेगम अख्तर की प्रतिभा सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं थी. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दौरे किए, यूरोप, मध्य पूर्व और अन्य जगहों पर भी गाना गाया. उनका संगीत लैंग्वेज बैरियर्स को पार कर गया.

8. एवरग्रीन

बेगम अख्तर की मधुर आवाज, शानदार तकनीक और गजलों के प्रति समर्पण भाव आने वाली पीढ़ियों के संगीतकारों और संगीत प्रेमियों को लगातार प्रेरणा देते रहेंगे और उनके गाए गाने हमेशा एवरग्रीन रहेंगे.

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