मुगल साम्राज्य में किन्नरों को कई तरह की जिम्मेदारियां दी जाती थीं, जैसे- हरम में शाही परिवार की औरतों की देखभाल करना.
दरअसल, मुगलों के हरम में किसी पुरुष को आने-जानें की अनुमति नहीं थी
वहीं, मुगल काल में कई किन्नर हुए लेकिन आज भी इतिहास में जावेद का नाम दर्ज है
जावेद अनपढ़ था, मगर मौके और दिमाग का इस्तेमाल करना के साथ-साथ वो जासूसी करने में भी माहिर था
इन्हीं खूबियां की वजह से मोहम्मद शाह रंगीला ने जावेद को हरम का सहायक अधीक्षक बना दिया, लेकिन बादशाह की मौत के बाद उसकी किस्मत पलट गई और खूब तरक्की की
‘फर्स्ट टु नवाब्स ऑफ अवध’ किताब के मुताबिक, जावेद के उधमबाई के साथ अंतरंग सम्बंध थे और वही उसकी तरक्की की भी वजह बनीं
उधमबाई के साथ जावेद हरम में दिन-रात बिताता था. कुछ समय के बाद दिल्ली तक इस बात की चर्चा होने लगी
राजमाता की छूट की वजह से जावेद लोगों से बदतमीजी करने लगा. नापसंद लोगों को रास्ते से हटाने लगा
ऐसे में वजीर ने जावेद की हत्या करवा दी. इस खबर से राजमाता सदमें में डूब गईं
कहा तो ये भी जाता है कि जावेद की मौत की खबर सुनकर उधमबाई ने विधवा की तरह अपने सारे गहरे उतारे और सफेद कपड़े पहन लिए थे