तीनों राजकुमारों की लड़ाई में मुगल सम्राट की संपत्ति काफी बर्बाद हो चुकी थी. तब साल 1660 में औरंगजेब ने मीर जुमला को अपना वफादार चुना और उसे बंगाल का सूबेदार बनाया.

Preeti Pal
Apr 11, 2023

आनंद कुमार की किताब ‘मुगल भारत का इतिहास’ के मुताबिक साल 1662 में मीर जुमला ने असम पर आक्रमण किया और वहां के राजा की सेना नष्ट कर दी

असम का राजा जयध्वज भाग गया. इसलिए न तो युद्व हुआ और न शांति वार्तालाप. महीनों तक मीर जुलमा की सेना जंगल में रुकी रही.

फिर मीर जुमला के बीमार पड़ने के बाद उन्होंने राजा जयध्वज को संधि प्रस्ताव भेजा. उन्होंने शर्त रखी कि युद्ध हानि की पूर्ति की जाए.

इसके लिए 20 हजार तोला सोना, 1 लाख 20 हजार किलो चांदी और 20 हाथी मांगे गए.

इतना ही नहीं अगले बारह महीने में उन्हें 3 लाख तोले चांदी और 90 हाथी 3 किश्तों में देने का आदेश दिया.

इसके अलावा उन्होंने सभी मुगल कैदियों को छोड़ने के लिए भी कहा

आखिरकार मीर जुलमा की बात जयध्वज को माननी पड़ी और असम और कामरूप दोनों पर मुगलों का कब्जा हो गया.

1663 तक ये इलाके मुगलों के कब्जे में रहे, लेकिन तब तक मुगल साम्राज्य ने खूब सारी दौलत हासिल कर ली थी.

यानी मीर जुमला की वफादारी मुगलों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हुई

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