'कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, यूं कोई बेवफा नहीं होता': बशीर बद्र के शेर

krishna pandey
Apr 02, 2024

कुछ तो मजबूरियां रही होंगी... यूं कोई बेवफ़ा नहीं होता.

दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे... जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों

मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला... अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला

यहां लिबास की क़ीमत है आदमी की नहीं... मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो... न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए.

मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी... किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी

आंखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा कश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा. सभी फोटो साभार- tensor.art

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