एरोप्लेन में क्यों बाईं तरफ से ही बोर्डिंग, यह है खास वजह

Lalit Rai
Sep 06, 2023

ग्राउंड क्रू के काम में आसानी

बाईं तरफ से बोर्डिंग पद्धति का संबंध ग्राउंड क्रू के वर्कफ्लो से भी जुड़ा है. विमान का दाहिना भाग ईंधन भरने और सामान लोड करने सहित कई महत्वपूर्ण गतिविधियों का केंद्र होता है.

समुद्री प्रथाओं से भी रिश्ता

व्यावहारिक सुविधा के साथ साथ परंपरा यह तय करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है कि यात्री किस तरफ चढ़ें. यह परंपरा समुद्री प्रथाओं से आती है.समुद्री यात्रा के संदर्भ में शिप के बाईं ओर को 'बंदरगाह' के रूप में जाना जाता है.

पुरानी परंपरा का सम्मान

विमानन जगत और आज भी यात्री इस सदियों पुरानी परंपरा का सम्मान करते हुए बंदरगाह या बाईं ओर से विमान में चढ़ते हैं. इस परंपरा को अब भी अमल में लाया जा रहा है.

पायलट की सुविधा भी

बाईं ओर से पायलट की सुविधा से संबंधित है. जो पारंपरिक रूप से कॉकपिट की बाईं सीट पर बैठता है.शुरुआती दिनों में हवाई अड्डों को इस तरह डिजाइन किया गया था कि विमान यात्रियों को चढ़ने या उतरने के लिए टर्मिनल के करीब टैक्सी कर सकते थे.

तकनीकी वजह

विमान के बाईं ओर बोर्डिंग दरवाजा होने से पायलटों के लिए टर्मिनल बिल्डिंग से विंगटिप क्लीयरेंस का आकलन करना आसान होता है. जिससे किसी भी अवांछित दुर्घटना या क्षति से बचा जा सका.

दाईं तरफ से बोर्डिंग के लिए मनाही नहीं

बेशक दाहिनी ओर से चढ़ना मना नहीं है, कुछ एयरलाइनों ने कभी-कभी बोर्डिंग के लिए दाहिनी ओर का उपयोग किया है, लेकिन ऐसे उदाहरण कम मिलते हैं.

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