कूटनीति, राजनीति और अर्थशास्त्र के बारे में आचार्य चाणक्य की बातें आज भी लोग याद करते हैं. महान दार्शनिक आचार्य चाणक्य की नीतियों से इंसान मुश्किल वक्त से बाहर निकल सकता है. उनकी नीतियां कठोर जरूर हैं लेकिन आखिर में वह मनुष्य के भले के लिए ही होती हैं. विवाह बहुत अहम फैसला होता है. ऐसे में किस तरह की स्त्री से विवाह नहीं करना चाहिए, यह भी उन्होंने बताया है.

Rachit Kumar
Apr 09, 2023

चाणक्य नीति के पहले अध्याय के 14वें श्लोक में लिखा है कि पुरुष भले ही उच्च कुल में जन्मी सौंदर्यहीन लड़की से विवाह कर लें. लेकिन नीच कुल में जन्मी सुंदर कन्या से कभी विवाह नहीं करना चाहिए. समान कुल में ही विवाह करना चाहिए.

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अकसर सुंदर कन्या के कारण लोग उसके कुल और गुणों को अनदेखा कर देते हैं.

नीच कुल की कन्या के साथ विवाह करने के बाद पुरुष परेशान ही रहेगा. वह इसलिए क्योंकि नीच कुल की कन्या के संस्कार भी नीच ही होंगे. उठने-बैठने, सोचने और बात करने का स्तर भी कमतर रहेगा.

जबकि उच्च कुल की कन्या भले ही सौंदर्यहीन ही क्यों न हो लेकिन वह कुल के मुताबिक ही आचरण करेगी.

आचार्य चाणक्य आगे कहते हैं कि नीच कुल की कन्या अपने बर्ताव से परिवार की इज्जत को कम करेगी. जबकि उच्च कुल की कन्या परिवार का नाम रोशन करेगी.

चाणक्य नीति के पहले अध्याय के 16वें श्लोक में लिखा है कि अगर जहर में अमृत हो तो उसको पी लेना चाहिए. अगर अशुद्ध या अपवित्र वस्तु में सोना या कीमती चीज हो तो उसको उठा लेना चाहिए.

यहां आचार्य चाणक्य का मतलब है कि अगर कोई नीच व्यक्ति हो और उसके पास कोई कला, विद्या या अच्छा गुण है तो उसको सीखने में बुराई नहीं. अगर कोई कन्या दुष्ट कुल में पैदा हुई है लेकिन उसके गुण अच्छे हैं तो उसको स्वीकार कर लेना चाहिए.

आचार्य चाणक्य ने कहा है कि महिलाओं का आहार पुरुषों की तुलना में दोगुना होता है. बुद्धि चौगुनी, साहस 6 गुना और कामवासना 8 गुना होती है.

उन्होंने यहां स्त्रियों की खास खूबियों के बारे में बताया है. ये स्त्रियों के ऐसे पहलू हैं, जिन पर अकसर लोग ज्यादा ध्यान नहीं देते.

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