मुगल हरम में क्या होता था?

भारत के लोग हों या विदेशी सभी के लिए मुगल बादशाहों का हरम कौतुहल का विषय रहा है. बर्नियर, मनूची और थॉमस रो जैसे यात्रियों ने अपनी किताबों और यात्रा संस्मरणों में मुगलों के हरम के बारे में दिलचस्प बातें लिखी हैं.

Shwetank Ratnamber
Apr 19, 2023

दुनियाभर की खूबसूरती

हरम में मुगलों ने दुनिया के कई देशों, विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों की महिलाओं को लाकर रखा गया था. इन महिलाओं से हरम के सख्त नियमों के पालन करने की अपेक्षा की जाती.

मर्दों की एंट्री बैन

हरम के अंदर किसी भी पुरुष को घुसने की इजाजत नहीं थी, वहां सिर्फ महिलाएं या किन्नर ही रहते थे. यही किन्नर हरम के अंदर बादशाह की सुरक्षा संभालते थे, क्योंकि बादशाह के पुरुष बॉडी गार्ड्स को अंदर घुसने की इजाजत नहीं थी.

तुर्की की महिलाओं को हरम में नौकरी

मुगल सल्तन में तुर्की और कश्मीरी महिलाओं को हरम के अंदर गार्ड ड्यूटी पर रखा जाता था, इसकी सबसे बड़ी वजह यह थी कि वो स्थानीय भाषा नहीं समझ सकती थीं. इस वजह से मुगल बादशाहों को अपनी बात लीक होने या जासूसी का डर नहीं था.

2 रुपये से लेकर 1000 तक मिलती थी सैलरी

हरम (Harem) में तैनात महिलाओं-किन्नरों को उनके पद के मुताबिक सैलरी मिलती थी. दरोगा को सबसे ज्यादा 1000 रुपये मासिक तनख्वाह और हरम के अंदर तैनात नौकरों को 2 रुपए महीना सैलरी दी जाती थी.

अकबर ने दिया हरम को संस्थागत दर्जा

अकबर (Akbar) के राज में पहली बार हरम (Harem) को संस्थागत दर्जा दिया गया और नाम रखा गया ‘महल’. हरम में लोगों को बाकायदा सरकारी पद भी दिये गए. उदाहरण के तौर पर हरम के चीफ अफसर को नाज़िर-ए-महल कहा गया जो, कोई किन्नर ही होता था. इन किन्नरों में सबसे ज्यादा पावरफुल जावेद था.

बीमारी में हो जाता था बुरा हाल

अंग्रेज यात्री जॉन मार्शल (John Marshall) के मुताबिक हरम की महिलाओं के बीमार होने पर बहुत से मामलों में उनके हाल पर अकेले छोड़ दिया जाता था. गिने चुने मामलों में हकीम को बुलाकर इलाज कराया जाता था. हकीम, महिलाओं को न देख सकते थे और नाड़ी देखने के लिए छू भी नहीं सकते थे.

हरम का आर्किटेक्चर और गुप्त रास्ते

मुगल हरम की सबसे खास बात थी उसका आर्किटेक्चर. महल के नीचे अंडरग्राउंड कमरों, गलियारों और सीढ़ियों का पूरा जाल बिछा था. इनके जरिए हरम में रहने वाली औरतें किसी की नज़र में आए बिना महल के किसी भी कोने में जा सकती थीं. बादशाह भी इन रास्तों का इस्तेमाल करते.

हरम की वो जगह जहां मौत का सन्नाटा

यहां महिलाओं को अय्याशियों के लिए लाया जाता था. जिनसे बादशाहों के फितूर के मुताबिक ऐसे-ऐसे काम कराए जाते थे, जिनसे इनकार करना यानी मौत को दावत देना. हरम में एक जगह ऐसी भी थी, जहां औरतों की चीख निकल जाती थी. खैर बादशाह तो वहां कभी नहीं जाते थे.

हरम के अंदर दी जाती थी फांसी

हरम के अंदर एक अंडरग्राउंड कोठरी यानी फांसीघर था, जो सुरंग के रास्ते एक गहरे कुएं से जुड़ा था. कई बार हरम का नियम तोड़ने वाली महिलाओं को हरम के अंदर ही फांसी दे दी जाती थी और उनकी लाश उसी कुएं में फेंक दी जाती थी.

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