भारत के इस गांव में दिखता है चाणक्य का दौर, जहां आज भी बोली जाती है सबसे पुरानी भाषा

Arti Azad
Oct 04, 2023

Sanskrit Village Of India:

आज हम आपको भारत के एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां अब भी संस्कृत बोलचाल की भाषा में इस्तेमाल की जाती है.

हर कोई संस्कृत में ही करता है बात

कर्नाटक में लोग कन्नड़ बोलते हैं, लेकिन यहां के मत्तूरु गांव में बूढ़े और बच्‍चे सभी फर्राटेदार संस्कृत बोलते हैं.

देश का आखिरी संस्कृत भाषी गांव ​

मत्तूर कनार्टक से 300 किमी दूर तुंग नदी के किनारे बसा एक कृषि प्रधान गांव है, जहां धान और सुपारी होती है. 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की आबादी कुल 3000 है.

दिलचस्‍प तथ्‍य

इसे भारत का आखिरी संस्कृत भाषी गांव कहा जाता है. यहां हर शख्‍स संस्कृत से अच्‍छी तरह वाकिफ है. यहां दीवारों पर भित्ति चित्र भी संस्कृत में लिखे गए हैं.

44 साल पुरानी परंपरा

साल 1981 में संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए गठित संस्था संस्कृति भारती ने मत्तूर में 10 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया था.

लोगों ने दिल से स्वीकार की गुजारिश

इसमें पड़ोसी उडुपी में पेजावर मठ के संत समेत कई हस्तियों ने भाग लिया. जब संत ने संस्कृत को संरक्षित करने के लिए मत्तूर में लोगों का उत्साह तो उन्होंने संस्कृत भाषा अपनाने की गुजारिश की.

लोगों ने अपना ली थी कन्‍नड़ भाषा​

इस गांव में पुराने समय से संस्कृत बोली जाती है, एक समय था जब लोगों ने कन्नड़ बोलना शुरू कर दिया था, लेकिन पेजावर मठ के स्‍वामी की सलाह के बाद लोगों ने संस्कृत को फिर अपना लिया.

​चाणक्‍य के दौर वाला गांव​

दक्षिण के इस गांव में प्रवेश करते ही एक खास अनुभव होता है. गांव वालों की वेशभूषा देखकर लगता है जैसे चाणक्य के दौर में आ गए हैं.

अंग्रेजी-हिंदी भी जानते हैं ग्रामीण

यहां के लोगों ने केवल पहनावे के साथ ही दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्‍यता और भाषा को भी सहेजकर रखा है. यहां ग्रामीण संस्कृत का हिंदी और अंग्रेजी में अनुवाद कर लेते हैं.

VIEW ALL

Read Next Story