मुगलों के दौर में कैसे खेली जाती थी होली?

(All Photos : Playground AI)

Deepak Verma
Mar 25, 2024

होली है!

होली गिले-शिकवे भुलाकर रंगों में सराबोर हो जाने का त्योहार है. कभी आपने सोचा है मुगलों के दौर में हिंदुओं का यह त्योहार कैसे मनाया जाता था?

होती थी रौनक

पद्मश्री से सम्मानित मशहूर आर्कियोलॉजिस्ट केके मोहम्मद बताते हैं कि मुगल काल में भी होली बड़े धूमधाम से मनती थी. आगरा किले और दिल्ली के लाल किला में होली के मौके पर ईद जैसी रौनक देखने को मिलती थी.

इतिहास में जिक्र

मुगलों के दौर में होली को 'ईद-ए-गुलाबी' और 'आब-ए-पाशी' कहा जाता था. 'आइन-ए-अकबरी' में अबुल फजल लिखते हैं कि मुगल बादशाह सालभर खूबसूरत पिचकारियां इकट्ठा करते थे.

जमता था रंग

केके मोहम्मद के अनुसार, बादशाह अकबर आगरा में अपने किले से बाहर आते और आम जनता के साथ होली खेलते थे. 'तुजुक-ए-जहांगीरी' में बादशाह जहांगीर ने लिखा है कि वह 'महफिल-ए-होली' में खूब रंग जमाते थे.

होली के गीत

एक पेंटिंग में, मुगल बादशाह मुहम्मद शाह रंगीला को अपनी बेगम के साथ महल में पिचकारी लिए दौड़ते दिखाया गया है. आखिरी मुगल बादशाह, बहादुर शाह जफर के होली वाले गीत आज भी गाए जाते हैं.

रंग बरसे!

इतिहासकार राजकिशोर राजे के हवाले से टाइम्‍स ऑफ इंडिया ने लिखा है कि अकबर, जहांगीर और शाहजहां के दौर में आगरा किले में होली खेली जाती थी.

औरंगजेब को छोड़कर आगे के मुगल बादशाहों ने होली खेलने की रवायत जारी रखी.

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