ये हैं भारत की 5 सबसे शक्तिशाली हिंदू रानियां, जिनसे टक्कर लेने से घबराते थे मुगल और अंग्रेज
Sumit Rai
May 07, 2023
रानी दुर्गावती
रानी दुर्गावती (Rani Durgavati) मध्य प्रदेश के गोंडवाना की रानी थीं, जो अपनी बहादुरी, साहस और न्याय के साथ-साथ अपनी सुंदरता के लिए जानी जाती थीं. उन्होंने कई लड़ाइयां लड़ी और उनमें जीत हासिल की.
बहादुरी के किस्से
रानी दुर्गावती ने पति की मौत के बाद अपने राज्य पर शासन किया और साथ ही बेटे का मार्गदर्शन भी किया. उन्होंने आखिरी लड़ाई मुगल बादशाह अकबर के सेनापति ख्वाजा अब्दुल मजीद आसफ खान के खिलाफ लड़ा था और युद्ध में घायल होने के बाद भी लड़ती रहीं. हालांकि, घायल होने के बाद उन्होंने आत्मसमर्पण नहीं किया, जबकि खुद को खंजर मारकर बलिदान दे दिया.
रानी ताराबाई
रानी ताराबाई मराठा साम्राज्य की एक महिला शासक थीं और छत्रपति शिवाजी महाराज की मां जीजाबाई की बहन थीं. रानी ताराबाई का जन्म 1675 ईस्वी में हुआ था. वह बचपन से ही शिवाजी महाराज के साथ रही थीं और उनकी अधिकारिक सलाहकारों में से एक बन गई थीं. रानी ताराबाई के नेतृत्व में मराठा सेना ने मुगल सम्राट औरंगजेब के साथ कई युद्ध लड़े और कुछ युद्धों में उन्होंने सफलता भी प्राप्त की.
औरंगजेब का सामना
रानी ताराबाई ने शिवाजी महाराज के निधन के बाद उनके पुत्र संभाजी महाराज की सहायता की और संभाजी महाराज की राज्याभिषेक समारोह की तैयारियों में सक्रिय रूप से भाग लिया. बाद में, जब संभाजी महाराज को मुगल सम्राट औरंगजेब के हथियारों में मरवाया गया, तो रानी ताराबाई ने स्वयं को महारानी के रूप में स्थापित किया और उनके पुत्र शिवाजी देव को मराठा साम्राज्य का सिंहासन संभालने तक समर्थन किया.
राजकुमारी रत्नावती
राजकुमारी रत्नावती जैसलमेर नरेश महारावल रत्नसिंह की बेटी थीं और उनका जन्म 16वीं शताब्दी में हुआ था. वह एक बहुत सुंदर, समझदार और बहादुर राजकुमारी थीं.
बहादुरी के किस्से
राजकुमारी रत्नावती के पिता महारावल रत्नसिंह ने जैसलमेर किले की सुरक्षा अपनी बेटी को सौंप दी थी. एक बार अलाउद्दीन खिलजी की सेना ने हमला कर दिया और किले को चारों तरफ से घर लिया. इसके बाद राजकुमारी रत्नावती ने युद्ध का संचालन किया और खिलजी के सेनापति मलिक काफर समेत 100 सैनिकों को बंधक बना लिया.
रानी लक्ष्मीबाई
रानी लक्ष्मीबाई (Rani Laxmi Bai) एक बहादुर महिला थीं, जो 1858 में भारत की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी गई थीं. लक्ष्मीबाई जन्म से ही एक बहुत ही बुद्धिमान और बलिदानी महिला थीं.
बहादुरी के किस्से
रानी लक्ष्मीबाई को झांसी की रानी भी कहा जाता है और भारत की स्वतंत्रता संग्राम की महिला वीरांगनों में से एक थीं. उनके पति राजा गंगाधर राव के निधन के बाद अंग्रेजो के साथ उनका संघर्ष शुरू हो गया. उन्होंने झांसी से स्वतंत्रता का आंदोलन आरंभ किया और अपने अंतिम समय तक वह अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ती रहीं.
रानी चेनम्मा
कर्नाटक के कित्तूर की रानी चेनम्मा की बहादूरी भी रानी लक्ष्मी बाई की तरह ही थी और उन्होंने भी अंग्रेजों के साथ जमकर लोहा लिया था. उन्होंने अपने जीवन के दौरान स्वतंत्रता संग्राम के लिए संघर्ष किया था.
बहादुरी के किस्से
रानी चेनम्मा ने बेटे और पति की मृत्यु के बाद राज्य को संभाला था. इसके बाद अंग्रेजों ने उनसे सत्ता हथियाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के सामने झुकने से इनकार कर दिया और ब्रिटिश सरकार को बड़े नुकसान पहुंचाए. अंत में अंग्रेजों ने उन्हें कैद कर लिया.