285 एकड़ में फैला, रामनाद साम्राज्य से रिश्ता, कैसा दिखता है कच्चाथीवू द्वीप

KIRTIKA TYAGI
Mar 31, 2024

भारत के दक्षिण में तमिलनाडु से आगे और श्रीलंका से पहले समुद्र के बीच मौजूद छोटे से टापू कच्चाथीवु का मुद्दा एक बार फिर गरम है.

बता दें, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कच्चाथीवु के मुद्दे पर कांग्रेस की सरकारों पर ढीला रवैया रखने का आरोप लगाते हुए हमला बोला है.

यह द्वीप नेदुनथीवु , श्रीलंका और रामेश्वरम , भारत के बीच स्थित है और श्रीलंकाई तमिल और तमिलनाडु दोनों मछुआरें इसका इस्तमाल करते हैं.

भारत-श्रीलंका द्वीप समझौते में भारतीय मछुआरों को कच्चाथीवू के आसपास मछली पकड़ने और द्वीप पर अपने जाल सुखाने की इजाजत है.

इस द्वीप में एक कैथोलिक मंदिर है, जिसमें दोनों देशों के भक्तों का तांता लगा रहता है.

द्वीप पर एक सेंट एंथोनी चर्च भी है, जिसका निर्माण भारत और श्रीलंका दोनों के ईसाई पुजारी ने किया था. इसमें भारत और श्रीलंका दोनों के श्रद्धालु तीर्थयात्रा करते हैं.

2023 में 2,500 भारतीयों ने त्योहार के लिए रामेश्वरम से कच्चातिवू की यात्रा की थी. ब्रिटिश राज के दौरान यह मद्रास प्रेसीडेंसी का हिस्सा बन गया था.

भारत और श्रीलंका सरकार के बीच हुए समझौते के अनुसार, भारत के नागरिकों को कच्चाथीवू जाने के लिए भारतीय पासपोर्ट या श्रीलंकाई वीजा की जरुरत नहीं है.

285 एकड़ में फैले ये द्वीप उत्तरी श्रीलंका और भारत के तमिलनाडु राज्य के आसपास जिलों में रहने वाले लोगों के जीवन में अहम भूमिका निभाता है.

ये द्वीप 17वीं सदी में मदुरई के राजा रामानंद के पास था, और ब्रिटिश शासन में ये द्वीप मद्रास प्रेसीडेंसी के पास आया.

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