मुगलों का हरम अंदर से कैसा होता था? नियम सुन सिहर जाएंगे आप; AI ने दिखाई तस्वीरें
Sumit Rai
Apr 22, 2023
मुगलों की लाइफस्टाइल
मुगलकाल के बारे में जानने के लिए लोगों के बीच हमेशा से उत्सुकता बनी रहती है. हर कोई मुगलों शासकों की लाइफस्टाइल के बारे में जानना चाहता है. इसको लेकर हमने एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से सवाल किया तो एआई ने हरम की कुछ तस्वीरें बनाई, जिसमें मुगल शासकों के शौक को दिखाया गया है.
मुगलों का हरम
मुगल शासकों की लाइफस्टाइल का ही एक हिस्सा मुगल हरम (Mughal Harem) था. तो चलिए आपको बताते हैं कि मुगलकाल के शाही हरम कैसे थे और उसके क्या-क्या नियम थे.
क्या है हरम?
हर कोई जानना चाहता है कि हरम (Harem) क्या होता था और वहां क्या होता था? बता दें कि हरम महिलाओं के रहने का एक अलग स्थान होता था, जहां मुगल सम्राटों के अलावा किसी अन्य पुरुष को जाने की इजाजत नहीं थी.
कैसे पड़ा हरम नाम?
हरम एक अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है छिपा हुआ स्थान. इसके अलावा हरम शब्द का मतलब महल भी होता है. इसलिए, समय के साथ हरम शब्द को प्रयोग महिलाओं के कक्ष के लिए किया जाने लगा.
कहां थे मुगलों के हरम?
मुगल शासनकाल में कई जगहों पर शाही हरम बने थे, इनमें दिल्ली, आगरा, फतेहपुर सिकरी और लाहौर शामिल हैं. इसके अलावा अहमदाबाद, दौलताबाद और बुहरानपुर में हरम थे.
किसने शुरू किया था हरम?
मुगल हरम की शुरुआत बादशाह बाबर के शासन में हुई थी और मुगल हरम का सही रूप अकबर के शासन में शुरू हुआ, जो जहांगीर के समय में अपने चरम पर पहुंचा. लेकिन, औरंगजेब के शासन से मुगल हरम अपनी पहचान खोता चला गया.
हरम में कितनी महिलाएं?
अबुल फजल की किताब के अनुसार, मुगल सम्राट अकबर के हरम में करीब 5 हजार महिलाएं थी. हालांकि, इससे पहले के बादशाहों के हरम में ये संख्या 300 और 400 के करीब थी. औरंगजेब के शासनकाल में हरम में महिलाओं की संख्या काफी कम हो गई थी.
हरम के कठोर नियम
मुगलों के हरम के नियम काफी कठोर थे और इसके अंदर रहने वालों को बाहर जाने की अनुमति नहीं होती थी. अगर, किसी स्थिति में जाना पड़े तो पर्दा रखना जरूरी होता था. हरम की सुरक्षा काफी चाक-चौबंद होती थी और यहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता था. हरम के अंदर महिला और बाहर किन्नर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती होती थी.
हरम में क्या होता था?
हरम में रहने वाली सभी महिलाओं की स्थिति एक जैसी नहीं होती थी और इसका फैसला शहंशाह करते थे. हरम में मौजूद महिलाएं अपना ज्यादातर समय सजने-संवरने में बिताती थीं. हरम के अंदर नाचने और गाने वाली महिलाएं भी रहती थीं. इतिहास को जानने वालों का कहना है कि हरम मुगल बादशाहों की अय्याशी का अड्डा होता था.